फीस न मिलने पर टीचर ने परीक्षा दौरान पांच साल के बच्चे को ट्यूशन से निकाला…।।

सिंहघोष/रायगढ़-10.02.25- “गुरु गोविंद दोहू खड़े काके लगे पाए बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियों बताए”यह दोहा नहीं हमारे भारतीय समाज की सच्चाई है की गुरु का मान इज्जत मां-बाप से बढ़कर होती है गुरु ही समाज को सही दिशा दिखाता है छोटे-छोटे बच्चों को एक जिम्मेदार और समाज के प्रति दयावान एवं संवेदनशील बनाता है पर अगर एक शिक्षक स्वयं ही बच्चों के आर्थिक स्थिति को ना देखते हुए जिस पर बच्चों का कोई दोष नहीं है क्योंकि बच्चे स्वयं अपनी फीस नहीं पटा सकते तो बच्चों को अपनी क्लास से बाहर निकालना,उनके मुंह आपकी फीस नहीं पटी है तुम क्लास मत आना बोलना क्या किसी शिक्षक को पाँच साल के बच्चे को बोलना उचित है?
ऐसा ही एक मामला शहर के कैदीमुड़ा मोहल्ले से सामने आया है जहां एक शिक्षक पी.के अग्रवाल जो की एक ट्यूशन टीचर हैं उन्होंने एक बच्चे को अपनी ट्यूशन क्लास से सिर्फ ये कहकर निकाल दिया कि-तुम्हारे 3 महीने की फीस 1500 नहीं मिली है तुम क्लास मत आना। ऐसा कहना एक गुरु को शोभा देता है?
वह भी तब जब वह पांचवी का बच्चा बोर्ड एग्जाम के तैयारी के अंतिम चरण पर था? अंतिम चरण पर चंद पैसों के कारण एक छात्र का हाथ छोड़ देना क्या यह जायज है?परिवार के सदस्यों के द्वारा यह कहने के बावजूद कि सर हमारी माली स्थिति अभी ठीक नहीं है लेकिन हम आपका एक एक पेसा एग्जाम से पहले चुका देगे उसके बावजूद इस लालची कलयुगी गुरु ने अपने छात्र को उसके साथ पढने सहपाठियों के बीच निकाल दिया इस कलयुगी गुरु को यह भी नहीं लगा की एक पांचवी में पढ़ने वाला बालक खुद में इतनी हीनभावना में ग्रस्त होकर केसे पढ़ पाएगा?
जब इस पी.के अग्रवाल से हमने बात करने की कोशिश कि तो इसका रवैया किसी माफिया डॉन की तरह कथा अब यह समझना मुश्किल है की क्या यह शिक्षक बच्चों को अच्छे संस्कार देगा या उन्हें बेड एलिमेंट बनने के लिए प्रेरित करेगा।
इसके बाद हमने पांच वर्षीय वंश ठाकुर के पिता से बात की तो उन्होंने कहा कि हमारे निवेदन के बाद भी सर को दया नहीं आई मेरे बच्चे की पढ़ाई का तो नुकसान हुवा साथ मे उसके दिमाग मे भी असर हुवा होगा अब हम इस शिक्षक की शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी महोदय से भी करेंगे।