अरपा-भैंसाझार नहर घोटाला: राज्य सरकार ने कार्रवाई तेज की, तत्कालीन एसडीओ आनंदरूप तिवारी निलंबित

रायपुर। बहुचर्चित अरपा-भैंसाझार नहर परियोजना में सामने आए भारी भ्रष्टाचार के मामले में राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओ) आनंदरूप तिवारी, राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी, को निलंबित कर दिया है।
यह मामला लगभग 1131 करोड़ रुपये की लागत वाली नहर परियोजना से जुड़ा है, जिसमें मुआवजा वितरण में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। जांच में पाया गया कि कुछ ऐसे लोगों को 48 गुना मुआवजा दे दिया गया, जिनकी जमीन इस परियोजना में अधिग्रहित ही नहीं की गई थी। दूसरी ओर, जिन असली किसानों की जमीन इस नहर निर्माण में आई, उन्हें मुआवजा दिया ही नहीं गया।
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब एक किसान की जमीन पर बिना पूर्व सूचना के खुदाई शुरू कर दी गई। किसान तत्काल कलेक्टर के पास पहुंचा और शिकायत दर्ज कराई कि उसे न तो किसी प्रकार की जानकारी दी गई, न ही कोई मुआवजा मिला है। कलेक्टर के निर्देश पर की गई जांच में मामला उजागर हुआ।
जांच में राजस्व विभाग के छह और जल संसाधन विभाग के पांच अधिकारियों एवं कर्मचारियों को दोषी पाया गया है। इनमें कोटा के तत्कालीन दो एसडीएम — आनंदरूप तिवारी और कीर्तिमान सिंह राठौर — प्रमुख रूप से शामिल हैं। इनके अलावा नायब तहसीलदार मोहरसाय सिदार, आरआई हुल सिंह, पटवारी दिलशाद अहमद और सकरी के पटवारी मुकेश साहू पर भी भ्रष्टाचार में संलिप्त होने के आरोप सिद्ध हुए हैं।
राज्य सरकार ने फिलहाल कार्रवाई की शुरुआत आनंदरूप तिवारी के निलंबन से कर दी है। शेष दोषियों पर भी जल्द अनुशासनात्मक कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।
