डॉ.दिलेश्वर पटेल इमरजेंसी में मरीजों को परेशानी न हो इसलिए अस्पताल को ही बना लिया घर…।चपले के 50 बिस्तर के कोविड अस्पताल से लाभान्वित हो रहे लोग…।मंत्री उमेश पटेल और सीएमएचओ डॉ.केसरी की रहती है विशेष निगरानी….।।

सिंहघोष/रायगढ़-
जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र चपले में 50 बिस्तरों (सभी ऑक्सीजनयुक्त) का कोविड-19 हॉस्पिटल संचालित हो रहा है। 20 बिस्तरों से शुरू हुए इस कोविड अस्पताल में रिकार्ड समय में 30 बेड बढ़ा दिये गए| इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले शिक्षा मंत्री उमेश पटेल की पहल पर कलेक्टर भीम सिंह और सीएमएचओ डॉ. एसएन केसरी के मार्गदर्शन में यहां इतनी जल्दी 50 बेड का अस्पताल का संचालन संभव हो पाया है।
अस्पताल के सकुशल संचालन की जिम्मेदारी होती है डॉक्टर और स्टाफ की। यहां के प्रभारी डॉक्टर दिलेश्वर पटेल किसी पहचान की मोहताज नहीं है। दुर्गम आदिवासी क्षेत्र धरमजयगढ़ के कापू में 3 सालों में डॉ. पटेल की मेहनत का लोहा पूरे राज्य ने माना था। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पटेल की टीम में तीन अन्य डॉक्टर हैं जो अपने कोविड हॉस्पिटल में सदैव मरीजों के लिए उपलब्ध रहते हैं।
मरीजों की देखभाल में कोई कमी न रहे इस कारण डॉक्टर दिलेश्वर पटेल– जिनका रायगढ़ और खरसिया दोनों ही जगह घर है– वह उसे छोड़कर अस्पताल में ही रहते हैं ताकि किसी भी प्रकार की इमरजेंसी में तुरंत अपनी सेवा दे सके।
गुरुवार को यहां से ठीक होकर घर लौट रहे बोतल्दा क्षेत्र के बीडीसी गौतम राठिया अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं कि वह 7 मई से भर्ती थे। यहां दोनों समय डॉक्टर नियमित रूप से राउंड पर आते थे और बाकायदा हालचाल पूछते थे। स्टाफ का भी व्यवहार संयत है। सभी मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं।
इस केंद्र में ऑक्सिजन मैनेजमेंट का पूरा काम जिले के बायो मेडिकल इंजीनियर नीतिराज सिंह ने किया है। पीपीई किट को सही तरीके से पहनने और उतारने की ट्रेनिंग (डॉनिंग- डॉफिंग) भी नीति ने ही दी है। नीतिराज भी कहते हैं चपले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में खुला यह अस्पताल अन्य सभी के लिए नज़ीर है।
ताउम्र याद रहेगा अनुभव : डॉ. दिलेश्वर पटेल
36 साल के डॉक्टर दिलेश्वर बताते हैं: “लोगों की सेवा करने में जो आनंद है वह शायद किसी में नहीं है। मैं खरसिया के ही जैमूरा गांव का रहने वाला हूं| प्राथमिक शिक्षा यहीं करने के बाद बिलासपुर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस, फिर रायपुर से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। मुझे अपने लोगों की सेवा करनी थी इसी कारण जन्मभूमि को कर्मभूमि चुना। शुरुआत हुई सुदूर वनांचल कापू से जो धरमजयगढ़ दुर्गम क्षेत्र में आता है। ऐसे क्षेत्र में कार्य करने से अनुभव यह होता है कि आप लोगों से सीधे जुड़ते हैं और एक अलग सी आत्मीयता उत्पन्न होती है। कोरोना संक्रमण काल में हमने अपना सबसे बेहतर झोंक दिया है। खतरा अभी टला नहीं, हमने इस दौर में बहुत कुछ सीखा है। यह अनुभव जो रहा है ताउम्र याद रहेगा।‘’
डॉ.दिलेश्वर पटेल बताते हैं कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की ओर से हमे तत्काल मदद मिलती है| कभी दवा और ऑक्सीजन के लिए हमें परेशान नहीं होना पड़ा है। मंत्री उमेश पटेल हर शाम को फोन करके भर्ती मरीजों का हालचाल पूछते हैं और जरूरत बताने पर उसे पूरा कर भी देते हैं। इस तरह से सभी के साझा प्रयास से हम अपना कार्य करते हैं। चपले अस्पताल के स्टाफ दिन-रात मरीजों की सेवा में लगे हैं।”
सुदूर क्षेत्रों में बेहतर हो रहे हम :-सीएमएचओ डॉ. केसरी
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसएन केसरी बुधवार को स्वास्थ्य अमले के साथ चपले कोविड अस्पताल गए थे जहां उन्होंने इस अस्पताल का मुआयना किया और स्वास्थ्य लाभ ले रहे लोगों से उनका कुशलक्षेम पूछा और फीड बैक लिया।
सीएमएचओ डॉ. केसरी ने बताया: “ जिले में फिलहाल कोविड के मामलों में बीते दिनों की तुलना में गिरावट हुई लेकिन हमें अभी सतर्क रहना है। जिले में कोरोना टीकाकरण आशा से बेहतर हो रहा है। 18 साल से अधिक के टीकाकरण के मामले में हम राज्य में बेहतर स्थिति में हैं। चपले जैसे अस्पताल को देखकर हमें इस बात की खुशी है कि सुदूर क्षेत्रों में भी कोविड अस्पतालों का संचालन सुचारू रूप से हो रहा है। यहां के चिकित्सीय स्टाफ अच्छा कार्य कर रहे हैं।“