रायगढ़

डेंगू की रोकथाम के लिए घर-घर दस्तक दे रही मितानिन-नर्से

वर्तमान समय में हमें स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक होने की जरूरत : सीएमएचओ डॉ. केसरी

घर के आसपास पानी जमा होने न दें : सुपरवाइजर पुष्पलता पाणिग्रही

सिंहघोष/रायगढ़-05.8.21- डेंगू की रोकथाम को पूरे जिले में जागरूकता कार्यक्रम, एहतियाती कदम और लार्वा को नष्ट करने के लिए तमाम जतन किये जा रहे हैं। नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों को रोकने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रही है।
नर्सें और मितानिन अपना रूटीन कार्य कर रही हैं जिमसें गर्भवती-शिशुवती महिलाओं की देखरेख, नवजात और बड़े बच्चों का ख्याल, पोषण कार्यक्रम, सामान्य टीके और कोविड की जिम्मेदारी सभी शामिल हैं। मितानिन और नर्स टीम बनाकर घर-घर सर्वे कर रही हैं। घर में पानी जमा नहीं होने देने के बारे में लोगों को जागरूक कर रही हैं।
अमूमन पानी घर के छोटे –छोटे बर्तन, छत, खाली टंकी, गाय के लिए बने हौदी में जमा होता है यहीं डेंगू के लार्वा मिलने की सबसे ज्यादा संभावना रहत है। यदि लार्वा मिलता है तो टेमिफास्ट का घोल, जला मोबिल डालकर लार्वा को समाप्त करते हैं फिर पानी को जमीन में डालते हैं। मितानिन और नर्सें डेंगू के बारे में लोगों को जानकारी दे रही हैं जिसमें शरीर को पूरी तरह से ढ़कने वाले कपड़े पहनना, घर में धुंआ देना, मच्छरदानी का प्रयोग, नारियल तेल में कपूर मिलाकर शरीर में लगाना जैसे एहतियाती कदम शामिल है। शहर के 48 वार्ड में 169 मितानिन घर-घर जाकर लोगों को डेंगू को रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम में लगी है।
स्वास्थ्य विभाग की शहरी क्षेत्र की सुपरवाइजर पुष्पलता पाणिग्रही जिन पर डेंगू रोकथाम की जमीनी स्तर की जिम्मेदारी सौंपी गई है वह टीम का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। पहले कोरोना संक्रमण की रोकथाम फिर टीकाकरण की जिम्मेदारी और इसी बीच डेंगू रोकथाम जागरूकता कार्यक्रम भी वह अपने मातहतों के साथ सर्वोच्च प्राथमिकता से कर रही हैं।

पानी जमा नहीं होने दें :सुपरवाइजर पुष्लता पाणिग्रही
पुष्पलता के अनुसार :, “डेंगू के मच्छर का लार्वा पनपने के लिए एक चम्मच साफ पानी ही काफी है, इसलिए सभी को साफ पानी के जमाव से सतर्क रहना होगा। हम लोगों के घर-घर जा रहे हैं और उन्हें जागरूक कर रहे हैं। यह जागरूकता की ही देन है कि अभी तक शहरी क्षेत्र में सिर्फ दो मामले ही आए हैं जिनमें एक व्यक्ति रायपुर से आया था अब उसके संपर्क में आए लोगों को हमारी टीम जांच कर रही है। लोगों से आग्रह है कि डेंगू की रोकथाम में स्वास्थ्य विभाग की मदद करें। डेंगू होने की संभावना बरसात की शुरुआत से दीवाली के बाद तक बनी रहती है। डेंगू व मलेरिया से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें साथ ही पूरी आस्तीन का कपड़ा पहने, मच्छरों से बचने वाली अगरबत्ती का प्रयोग करें, जहां गड्ढों में पानी जमा होता है उसे मिट्टी से भर कर समतल करा दें। कूलर, फ्रीज, गमला, छत पर फेके गए टायर आदि में साफ पानी न इकट्ठा होने दें।”

वर्तमान समय में ज्यादा जागरूक होने की जरूरत : सीएमएचओ डॉ. केसरी
सीएमएचओ डॉ केसरी ने बताया, “संचारी रोगों का व्यवहार परिवर्तन से गहरा संबंध है। डेंगू भी इसी प्रकार की बीमारी है। अगर समुदाय अपना व्यवहार बदले तो इस बीमारी पर अंकुश लगाया जा सकता है। डेंगू की रोकथाम के लिए एहतियाती कदम उठाने होंगे। साफ पानी का जमाव रोकना होगा और मच्छरों की ब्रीडिंग साइट्स नष्ट करनी होगी। कोविडकाल में लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा सजग होना होगा।उन्होंने कहा, नवंबर तक संचारी रोगों जैसे डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया आदि का शहरी क्षेत्र में खतरा बना रहता है और इस समय बारिश भी शुरू हो गई है, इस लिहाज से समुदाय को इन बीमारियों के प्रति संवेदीकृत करना बेहद आवश्यक है।”

डेंगू को जानिए
प्लेटलेट का कम होना हमेशा डेंगू नहीं होता है।
समय से अस्पताल आने पर डेंगू का सस्ता इलाज संभव है।
समय से चिकित्सालय पहुंचने पर डेंगू जानलेवा रूप नहीं धारण करता।
चिकनगुनिया और डेंगू के लक्षण एक तरह के होते हैं। चिकित्सकीय जांच के बाद ही पता चल सकता है कि मरीज को डेंगू या चिकनगुनिया।
चिकनगुनिया के खतरनाक अवस्था में शरीर झुक जाता है और वह कभी ठीक नहीं होता।
डेंगू और चिकगुनिया एक ही प्रजाति के मच्छर के काटने से होता है और दोनों बीमारियों के मच्छर दिन में काटते हैं।
मच्छरों से बचाव कर हम चिकनगुनिया और डेंगू समेत सभी मच्छरजनित रोगों पर अंकुश पा सकते हैं

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