
जिस शहर की जनता जागरूक होगी उस शहर का विकास तेजी से होगा।
जनप्रतिनिधियों ने कभी शहर के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझी ही नही ,नही तो आज बिलासपुर का विकास धरातल पर दिखाई देता।
सिंहघोष/बिलासपुर-20.8.21- सन 2000 मध्यप्रदेश से अलग हुआ प्रदेश छत्तीसगढ़,इसे बनाने के लिए लड़ाई बहुत लंबी चली सफलता सन 2000 में मिली। छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा शहर बिलासपुर वासियों को लगा कि अब छत्तीसगढ़ बनने के बाद विकास की गति चार गुना तेजी से बढ़ेगी और शुरुआत भी अच्छी रही अजित जोगी आईएएस रहे राज्यसभा सांसद रहे सांसद भी रहे फिर विधायक भी बने और छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री बनने के बाद इन सब का अनुभव का लाभ पूरे प्रदेश वासियों के काम भी आया जिससे छत्तीसगढ़ का विकास तेजी से बढ़ने लगा सबसे ज्यादा लगाव बिलासपुर से होने के कारण बिलासपुर का विकास तेजी से बढ़ा लेकिन ये सिर्फ तीन साल तक ही रहा फिर कांग्रेस की सरकार बनी नही भाजपा का शासन आ गया और डॉ रमन सिंह मुख्यमंत्री बने व बिलासपुर से कदावर नेता अमर अग्रवाल भी कैबिनेट मंत्री बने वे बिलासपुर के लिए राशि तो बहुत लाये लेकिन उनके पास कोई प्लानिंग नही थी कि शहर का विकास कैसे करना है इनके 15 साल के सत्ता में न तो बिलासपुर का मास्टर प्लान बना और न ही शहर का परिसीमन हुआ जिसका खामियाजा आज तक शहर भुगत रहा है,अब फिर से कांग्रेस की सरकार बनी लेकिन उससे भी उम्मीद करना बेमानी है क्योंकि इन ढाई साल के विधायक ने सिर्फ न्यूज पेपर में ही शहर का विकास दिखाया जमीनी हकीकत तो कुछ और है इसके अलावा शहर एक बात से ओर जूझ रहा है इनकी “आपसी प्रतिद्वंदिता” जिसके चलते विकास क्या शहर में क्राइम का ग्राफ बढ़ना,राजस्व में विवादित मसले, नये जुड़े वार्डो का विकास न होना,शहर में साफ सफाई की समस्या,और भी बहुत सी छोटी छोटी समस्या अब विकराल रूप लेते जा रही है वर्तमान विधायक पेपर में ही शहर की जनता को विकास दिख रहे हैं। उसके एवज में रायपुर का विकास तेजी से बढ़ रहा है उसके साथ दुर्ग,राजनांदगांव, कोरबा,ये तीन शहर भी अब बिलासपुर के अपेक्षा ज्यादा विकास कर रहे है। रायपुर में शहर का मास्टर प्लान आया ही नही तीन बार रायपुर का परिसीमन भी हुआ जिसके कारण आज रायपुर ओर बिलासपुर के बीच जो विकास को लेकर 19/20 की बाते हुआ करती थी आज वो 20/100 में तब्दील हो चुकी है रायपुर के जनप्रतिनिधियों ने अपने शहर के विकास के लिए सब कुछ किया लेकिन बिलासपुर के जनप्रतिनिधियों ने क्या किया ये यहाँ की जनता भलीभांति जानती है। अब आते है जिम्मेदार कौन इस शहर के जनप्रतिनिधियों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बनती है उसके बाद यदि किसी की बड़ी जिम्मेदारी बनती है वो आप याने की जनता,जनता का जागरूक होना उस शहर की विकास में सहभागिता होती है जिस शहर की जनता जागरूक नही होगी वहां विकास कभी नही हो सकता नेता आते जाते रहते है लेकिन जनता वही है जिसने उन्हें अपनी वोट की ताकत से उन्हें वो स्थान दिया लेकिन क्या अपनी जिम्मेदारी जनता ने निभाई? क्या होना चाहिए क्या नही? क्या जनप्रतिनिधियों को बताया कि हमे क्या चाहिए नही बताया सिर्फ वोट देकर अपनी जागरूक नागरिक होने का फर्ज निभा दिया लेकिन ये फर्ज आपके शहर के लिए अधूरा है आपकी जिम्मेदारी बनती है कि अपने शहर का विकास कैसे और किया जा सकता है उसके रास्ते बहुत से है यदि जनप्रतिनिधि नही सुनते तो उसके लिए सड़क में उतरो,आने चुनाव में सबक सिखाओ और सवाल करो कि आपने क्या विकास किया?ओर जो हमने
कहा उसे आपने कहा तक पूरा किया ?
बिलासपुर का विकास तभी हो सकता है जब नागरिक अपनी जिम्मेदारी को निभाये उन्हें शहर के विकास में भागीदारी करनी पड़ेगी जनप्रतिनिधियों को बताना होगा कि यदि आपने काम नही किया तो 5 साल तक आपको हटाने का इंतजार नही करेंगे तुरन्त इस्तीफा देने की बात करेंगे जिस दिन ये बात आपको समझ मे आ गई आपके शहर का विकास चार गुना तेजी से बढ़ने लगेगा ।