क्षेत्र की पर्यावरणीय बर्बादी की बड़ी वजह है रूपाणाधाम उद्योग…।।

लोगो की माने तो उद्योग प्रबन्धन का विवादों से चोली दामन का साथ रहा है..नियमो कायदों से इतर हो रहा है उद्योग का संचालन…।।
सिंहघोष/रायगढ़-29.10.21-जिले के औद्योगीकरण के दौर में कुछ उद्योग और उसके प्रबन्धन का विवादों से गहरा रिश्ता रहा है।
इस क्रम में रायगढ़ जिले के तमनार विकासखंड के ग्राम पंचायत सराईपाली में स्थापित रूपाणा धाम कंपनी का नाम प्रमुखता से आता है।
फिर वो चाहे उद्योग के द्वारा पर्यावरण को बुरी तरह से प्रदूषित करने का प्रयास हो या गैरकानूनी तरीके से उद्योग की स्थापना।।।
जिला प्रशासन और पर्यावरण विभाग के कुछ बेईमान अफसरों के अप्रत्यक्ष संरक्षण ने उक्त उद्योग संचालक की हिम्मत इतनी बढा दी है कि वह खुलेआम उद्योग स्तनपान से लेकर संचालन तक के तमाम आवश्यक नियमों/कायदों की सीधे तरीके से अंदेखिया करता रहा है।
उद्योग संचालन को लेकर क्षेत्र के ख्यातिलब्ध समाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी का कहना है -कि रूपाणाधाम जैसे गैरकानूनी उद्योगों का इस तरह से संचालन किया जाना जिला प्रशासन और पर्यावरण विभाग की नाकामियों व भ्रष्टाचरण का जीता जागता नमूना है।
उद्योग संचालक हरविलास अग्रवाल ने पाँचवी अनुसूची वाले इस क्षेत्र में करीब 45 से 50 एकड़ भूमि पर उद्योग स्थापना के पहले न तो वैध तरीके से पर्यावरणीय जनसुनवाई की,न ही स्थानीय ग्राम पंचायत से वैध अनापत्ति ली। इसके अलावा इसने उद्योग स्थापना के पूर्व उक्त भूमि का डायवर्शन तक नही कराया था। इस सम्बंध में जब जागरूक लोगों ने अनुविभागीय अधिकारी से शिकायत की तो वे जायज कार्यवाही करने के बजाय उद्योग प्रबन्धन के पक्ष में आ गए और लीपा-पोती करने में लग गए। परिणाम यह रहा कि उद्योग पहले स्थापित होकर संचालित हुआ फिर डायवर्शन की प्रक्रिया बाद में कई गई।
यहां तक कि उद्योग संचालन के पूर्व संचालक हरविलास ने पर्यावरण विभाग से अनापत्ति तक नही ली गई थी। यही नही उद्योग स्थापना वाली जगह में बड़े पैमाने ओर स्थानीय आदिवासियों की जमीनें भी अवैधानिक तरीको औने-पौने कीमत में खरीदी गई थी। जिसकी जांच आवश्यक है।
ग्रामीणों की माने तो उद्योग प्रबन्धन अपने यहां लगी चिमनियों में isp मशीन का उपयोग कभी नही किया जाता है। जिसकी वजह से चिमनियों से निकलने वाली जहरीली राख आसपास के कई गांवों में फैल जाती हैं।
रूपाणा धाम उद्योग से होने वाले प्रदुषण के कारण क्षेत्र के नदी-नाले और तालाबों का पानी पूरी तरह से जहरीला व उपयोग हीन हो चुका है। ग्रामीणों की आपत्तियों के बाद जिला- प्रशासन ने कई बार यहां जांच टीम भेजी और सेम्पल लिया। परन्तु कार्यवाही क्या की गई यह किसी को पता नही।
आज भी अगर आपका क्षेत्र में आना ही तो अपनी खुली आँखों से देख सकते है कि रूपाणा धाम उद्योग के द्वारा क्षेत्र के पर्यावरण में किस तरह भयंकर जहर घोला जा रहा है।। उद्योग की चिमनियां दिन-दहाड़े काले और जानलेवा राख छोड़ रही हैं।। यह सब कुछ आप/हमको दिखता है परन्तु जिला प्रशासन की नजर में कब आएगा.? इस विषय मे कुछ कहा नही जा सकता है।। श्री त्रिपाठी कहते है कि वैसे आज भी अगर आप नियम कायदों में जाएं तो पाएंगे कि रूपाणा धाम स्टील उद्योग की स्थापना और संचालन पूरी तरह से अवैध है।