रायगढ़

“नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5” रायगढ़ में 1000 पुरुषों पर 1013 महिलाएं..। संस्थागत प्रसव भी बढ़ा,नवजातों में डायरिया के कम हुए मामले…।।

सिंहघोष/रायगढ़-29.11.21-हाल ही में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट जारी हुई है जिसंमें रायगढ़ जिले के लिए अच्छी बात यह है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या बढ़ी है। जिले में वर्ष 2015-16 के सापेक्ष लिंगानुपात 985 से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 1,013 हुई है। एनएफएचएस-5 के आंकड़ों पर नजर डाले तो नवजात बच्चों में होने वाले डायरिया के मामलों में आश्चर्यजनक कमी आई है। एनएफएचएस-4 में जो 8.0 प्रतिशत का दर था वह घटकर अब एनएफएचएस-5 में 1.9 प्रतिशत हो गया है। डायरिया शिशु मृत्यु का एक कारण है|

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (2020-21) के अनुसार जिले में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करने वाले परिवारों तथा बेहतर सैनिटेशन सुविधा का उपयोग करने वाले परिवारों के प्रतिशत में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-16) में प्रदेश में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करने वाले परिवारों का प्रतिशत 19.6 था, जो ताजा सर्वे में बढ़कर 29.8 प्रतिशत हो गया है। इसी प्रकार, बेहतर सैनिटेशन सुविधा का उपयोग करने वाले परिवारों का प्रतिशत 28.8 से बढ़कर 66.3 प्रतिशत हो गया है। बेहतर सेनिटेशन से स्वास्थ्य बेहतर होता है|

संस्थागत प्रसव 66.8 प्रतिशत से बढ़कर 87.7 प्रतिशत हो गया है। जिले में 18 साल से कम यानी बाल विवाह की दर में भी कमी आई है। एनएफएचएस 4 में 21.4 प्रतिशत लड़कियां थी जिंक शादी 18 वर्ष से पहले होती थी वहीं अब एनएफएचएएस- 5 में यह आंकड़ा घटकर 11.5 पर आ गया है। यह लड़कियों के सशक्तिकरण और स्वास्थ्य के लिए अच्छी खबर है|

परिवार नियोजन को लेकर किये जा रहे तमाम जतन का प्रभाव भी इस बार देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा परिवार नियोजन के संबंध में ऐसे लोगों से संपर्क किया गया जो इसके बारे जानते नहीं थे। यह दर 12.6 प्रतिशत से बढ़कर 38.4 प्रतिशत तक बढ़ गई है। वर्तमान में परिवार नियोजन के लिए विविध प्रकार के साधनों का प्रयोग कर रहे 89.2 प्रतिशत लोगों ने इसके साइड इफेक्ट के बारे में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को बताया जो पहले 32.8 प्रतिशत था।

जनसंख्या स्थिरीकरण में हो रहा सुधार
जनसंख्या स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण कारक कन्ट्रासेप्टिव प्रिवलेंस रेट यानि गर्भनिरोधक साधनों के उपयोग की दर में भी वृद्धि हुई है और यह एनएफएचएस-4 (2015-16) में 52.3% से बढ़कर एनएफएचएस-5 (2020-21) 64.1% हो गई है। एनएफएचएस 4 में जहां आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों का 49 % उपयोग हो रहा था वहीँ एनएचएफएस-5 में यह आंकड़ा बढ़कर 56% हो गया है।
एन एफ एच एस-5 से यह भी पता चलता है कि गर्भनिरोधक साधनों की कमी की दर में भी कमी आई है। यह 13.1 % से घटकर 10.3 % पर आ गयी है। यह दर ऐसे योग्य दम्पत्तियों की दर को दर्शाती है जिनको गर्भनिरोधक साधनों की जरुरत है और वह उनको अपनाना भी चाहते हैं किन्तु उनकी पहुँच गर्भनिरोधक साधनों तक नहीं है।

कोविड-19 महामारी संक्रमण के मद्देनजर लगे लॉकडाउन ने एनएफएचएस-5 सर्वे को भी प्रभावित किया। प्रदेश में 16 जनवरी 2020 से 21 मार्च 2020 तक पहले चरण का सर्वे हुआ। इसके बाद लॉकडाउन के कारण दूसरा चरण 5 दिसंबर 2020 से 30 मार्च 2021 तक किया गया। जिले के 889 गृहस्थियों, 990 महिलाओं 154 पुरुषों से भी जानकारी ली गई।

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