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शहर के मुख्य चौराहे सत्तीगुड़ी चौक पर बैग लिए बैठा हैं 92 साल का बुजुर्ग..! चोर उड़ा ले गए पैसा और पहचान..! धूप की तपिश, बदनसीबी की मार, आंखों में घर वापसी की उम्मीद..! दानवीरों के शहर में किसी मसीहा की तलाश में बैठा एक प्रवासी बुजुर्ग..

सिंहघोष/ रायगढ़। कोरोना संक्रमण के कारण कई लोग इधर-उधर फंसे हुए हैं। उसी में रायगढ़ जिले में एक घटना सामने आई। जिसमे जयपुर राजस्थान के एस के जोशी जोकि बुजुर्ग हैं, इनकी उम्र 92 वर्ष (जैसा कि इन्होंने बताया) हैं। लॉक डाउन के पहले रायगढ़ आ चुके थे। बस स्टैंड के पास महाराज होटल मे यह हलवाई का काम करते है। चुकी लॉक डाउन के दौरान होटल के संचालक भी अपने मूलनिवास (राजस्थान) चले गए हैं। ऐसे में इस बुजुर्ग को इधर उधर सड़कों पर भटकना पड़ रहा है। आज जब हमारी नजर इन पर पड़ी तो, हमने इनसे कुछ बातें की। जिसमें इन्होंने बताया कि यह राजस्थान के जयपुर के सुप्रसिद्ध हलवाई हैं और यह लगभग 48 दिनों से इधर-उधर भटक रहे हैं। कभी रेलवे स्टेशन, तो कभी बस स्टैंड में अपनी रात गुजार रहे हैं।

“कलेक्टर साहब मैं 92 साल का बुड्ढा आदमी हूं। मेरा पैसा और मोबाइल चोरी हो गए हैं। न्याय कीजिए.. मुझे रायपुर पहुंचा दीजिए..”

एक रात जब स्टेशन में सोए हुए थे। तब वहां से किसी ने इनका पर्स मोबाइल चोरी कर लिया। पैसे पहचान पत्र सब कुछ चोरी हो चुका था। उसके बाद से ही इनपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। परदेश में पैसा बहुत बड़ा सहारा होता। अब इन्हें काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। ले देकर दो वक्त की रोटी मिल जा रही है।

बातों ही बातों में इस बुजुर्ग ने नम आंखों के साथ कहा कि, कलेक्टर साहब साहब मुझे रायपुर भिजवा दीजिए। हमने इनसे पूछा कि रायपुर आप जाकर क्या करेंगे? इसके जवाब में उन्होंने बताया कि रायपुर में उनका अस्थाई निवास है। जहां जाकर सर छुपाने की जगह तो मिल जाएगी।

इस बात को सुनते ही सत्तीगुड़ी चौक स्थित एसटीडी पीसीओ संचालक तपन घोष के द्वारा उन्हें अपने यहां आश्रय दिया। अब इस इस बुजुर्ग व्यक्ति की कुछ समस्या तो हल हुई है, लेकिन इनका अब भी कहना यही है कि मुझे किसी भी तरह रायपुर भिजवा दें। क्योंकि इस बुजुर्ग व्यक्ति के पास अब ना तो पैसे हैं। ना ही आधार कार्ड है और ना ही मोबाइल। (सब चोरी हो गया.) ऐसे में इनके पास एक बड़ी समस्या है कि वह अपनों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।

प्रशासन इस बुजुर्ग व्यक्ति के लिए क्या मदत करती है.. अभी की स्थिति में वही सर्वेसर्वा हैं। वे चाहे तो इस बुजुर्ग की समस्या का निदान संभव हैं। क्योंकि रायगढ़ शुरू से ही आप जानते हैं दानवीरों की नगरी रही है। मानवता के कई उदाहरण इस शहर में हमें देखने को मिले हैं। क्या कोई मसीहा आएगा इस बुजुर्ग व्यक्ति के लिए, क्या कलेक्टर तक उसकी गुहार पहुंचेगी, आगे क्या होता है.. यह देखना अभी बाकी हैं!

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