मजदूरों के स-सम्मान घर वापसी का सरकारी दावा खोखला सड़को और रेलवे ट्रेक पर पैदल चलकर रोजना आ रहे है प्रवासी मजदूर,शहर के लोग कर रहे है मदद

सिंहघोष/ रायगढ़- एक तरफ देश-प्रदेश की सरकारें अपने-अपने राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों के स-सम्मान घर वापसी के तमाम दावे कर रही हैं। तो दूसरी तरफ सेकड़ो हजारों भूखे,मजबूर, मजदूर और उनके परिजन घर वापसी के लिए पैदल ही सड़क नापते दिख रहे हैं। देश और छत्तीसगढ़ राज्य में इन-दिनों कोरोना महामारी के कारण लॉक डाउन 3 का दौर चल रहा है। परन्तु आज भी सरकारी अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि रायगढ शहर से लाकडॉउन में फंसे सैकड़ों मजदूर गुजर रहे हैं। सरकारी दावों के अनुसार प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए वो लगातार पास बनवा रही है । वहीं दूसरे प्रांतों में फंसे मजदूर अपनी जान की परवाह न करते हुए बिना किसी सरकारी मदद के ही पैदल ही सड़क या रेल पटरियों के माध्यम से अपने घर पहुंच रहे हैं। दूसरे शब्दों में यह कह सकते है कि प्रशासन के द्वारा मजदूरों की समश्याओं को लेकर उसकी तरफ से कोई मुफीद वयवस्था मुहिम नहीं करवाई है रही है।। आज इसी कड़ी में सुबह हमने हैदराबाद से पैदल चल कर अपने परिजनो के साथ 5 दिनों की पदयात्रा के बाद रायगढ़ शहर पहुंचे मजदूरों का हाल-चाल जाना तो शाम को चाम्पा से रेल ट्रैक पर पैदल आ रहे मजदूरों से रूबरू हुए। हमने पाया कि सुबह आम वाले मजदूर हैदराबाद शहर में किसी साइट पर सीमेंट गारे का काम करते थे। लाकडॉऊन के बाद काम बंद हो गया और उनका रोजगार छीन गया। फिर भी वे लाकडॉऊन खुलने का इंतजार करते रहे थे। ताकि दोबारा से काम चालु हो और उन्हें रोजगार मिल जाए। परन्तु जैसे ही लाकडॉऊन 3 की घोषणा हुई तभी उन्होंने अपने राज्य झारखंड वापस पैदल ही जाने का निर्णय लिया। यहां बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या हैदराबाद से निकलने के बाद मजदूरों की कही स्वास्थ्य जांच की गई या नही.?? उन्हें कहीं भी क्वारेंटिंन क्यों नही किया गया.??जबकि हैदराबाद से रायगढ़ तक आने में अनेकों कोरोना चेक पोस्ट पड़ते हैं।। यह आश्चर्य है कि उनको कही भी रोका नही गया। फिलहाल छ ग में प्रवासी मजदूरों के आवागमन से लाकडॉउन थ्री की स्थिति बिगड़ने लगी है।। राज्य में नए कोरोना संक्रमण के मामले प्रवासी मजदूरों से आए हैं। इसके बावजूद ऐसी लापरवाही क्यों कि गई? यह समझ से परे है।
बहरहाल शहर पहुंचे ये मजदूर रायगढ़ नगर निगम गेट के बाहर बैठकर आने जाने वाली गाड़ियों का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही मीडिया को जानकारी मिली वे मौके पर पहुंच गए और उनका हाल-चाल जाना । तो उन्होंने नम आंखों से बताया कि हम लोग 5 दिन पहले अपने परिवार के साथ हैदराबाद से पैदल निकले हैं जिसमें महिला बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं।। हमें न तो कोई सुविधा सरकार द्वारा दी जा रही है न घर वापसी का कोई साधन दिया गया है। उनके साथ चल रहे बच्चे 4 दिन से भूखे हैं।। हमारे द्वारा ठेकेदार से मजदूरी की मांग की गई तो उसने हमें रुपए देने से इंकार कर दिया। घर वापसी के लिए उसने हमें कोई गाड़ी भी उपलब्ध नही करवाई। अंततः हम पैदल ही घर के लिए निकल पड़े।। गौरतलब हो कि इस तरह साधन के अभाव के चलते शहर से रोजाना सैकड़ों मज़दूर पैदल ही गुजर रहे हैं। शहर आये इन मजदूरों को कई लोगो ने अपने तरफ से सहायता पहुंचाई किसी ने नाश्ते पानी की व्यवस्था की तो किसी ने उन्हें नगद सौ-सौ रुपये पृथक से दिए। वही खबर है देर शाम चाम्पा से पैदल रेलवे ट्रेक में तीन दिन से लगातार चलकर 17 मजदूर रायगढ़ पहुचे है। इन सभी मजदूरों को झारखंड जाना है। रेल्वे ट्रेक में चलकर मजदूरों के आने की सूचना मिलने पर औरंगाबाद हादसे के बाद सजग रेल पुलिस प्रशासन ने मजदूरों को अपने साथ लाकर स्थानीय प्रशासन के हवाले किया। जबकि सोनिया नगर युवा समिति के द्वारा सभी भूखे-प्यासे मजदूरों को भोजन कराया गया। वही प्रवासी मजदूरो को रात में रुकने के लिए जिला पंचायत के पास सरकारी भवन में व्यवस्था की गई। जिन्हें शासन ने सुबह गाड़ियों से उनके गृह ग्राम तक भेजने की व्यवस्था की है।