बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल!..युवा पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की खास रिपोर्ट..।।

किसी को स्कूल से निकालने की धमकी तो जिसने विरोध किया उसके बच्चे को किया फेल
कोविड को मात देने वाली बच्ची से हुआ अन्याय!
पालक का आरोप बच्ची को प्रताड़ित करने के लिए पहले पास, फीस देने के बाद प्रमोट और टीसी लेने के समय दिया फेल का मार्कशीट
सिंहघोष/रायगढ़.23.08.22.सलमान खुर्शीद, लुईस खुर्शीद, मोंटेक सिंह अहलूवालिया जैसे दिग्गजों से संबंधित दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल (डीडब्ल्यूपीएस) ने तीन साल पहले रायगढ़ जिले में भी भव्य कैंपस खोला। डीडब्ल्यूपीएस देश का नामी स्कूल ब्रांड है लेकिन रायगढ़ आते ही इस स्कूल की साख पर बट्टा लग गया। यहां की ब्रांच पर शुरुआत में तालाब को पाटने से लेकर गांव के रास्ते पर कब्जा जैसे कई आरोप लगे पर समय के साथ सब ठीक हो गया। लेकिन अब ग्राम चिराईपानी, गेरवानी के ग्रामीणों ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ग्रामीण नटराज डनसेना और राजू डनसेना से जिला शिक्षा अधिकारी से स्कूल की शिकायत की है कि स्कूल के मनमाने रवैये से उनके बच्चे पढ़ने से वंचित हो रहे हैं। पालकों का आरोप है कि दो साल पहले उन्होंने अपने बच्चों का प्रवेश स्कूल में करवाया। उन्हें पता है कि गेरवानी से ज्यादा बसें रायगढ़ के स्कूलों के लिए नहीं आती फिर भी स्कूल के लोग उनके घर आए मान मनौव्वल किये और ग्रामीणों को स्कूल दिखाने नटराज और राजू खुद अपनी गाड़ी से लेकर गए कि बच्चा अच्छे स्कूल में पढ़ेगा तो भविष्य बेहतर होगा। कोविड के साल तो ऑनलाइन में बीत गए पर जब स्कूल खुले तो प्रबंधन ने कभी बस भेजा कभी नहीं ऐसे में 4 महीने बीत गए पर अब 10 दिन से स्कूल बस आ ही नहीं रही है जबकि तय किराये से दोगुना वे अभी दे रहे हैं। स्कूल प्रबंधन के पास जब नटराज और राजू बात करने गए तो उन्होंने उनसे बदतमीजी की और स्कूल कैंपस से खदेड़ दिया और कहा बस किसी भी सूरत में नहीं भेजेंगे आपको जहां शिकायत करनी है कर लें और टीसी ले जाएं। इसे तंग आकर उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अपने बच्चों के भविष्य के लिए गुहार लगाई है।
इनकी शिकायत के साथ ही चिराईपानी के एक और पालक केदार नाथ डनसेना ने भी डीडब्ल्यूपीएस स्कूल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है उनका आरोप है कि स्कूल में नवमीं के बाद दसवीं नहीं पढ़ाने के कारण उनकी पास बच्ची का मार्कशीट दो बार लेकर तीसरी बार में फेल कर दिया गया और ट्रांसफर सर्टिफिकेट थमा दिया गया। इसके कारण उनकी बच्ची सदमे में है और अब किसी भी स्कूल में जाना ही नहीं चाहती। स्कूल प्रबंधन ने उनके गांव तक स्कूल बस भेजने का वादा किया था लेकिन बस नहीं भेजने के चलते उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो उनकी बच्ची को प्रताड़ित किया गया है।
स्कूल के मालिक कमल अग्रवाल का कहना है कि बस नहीं भेजेंगे ऐसी कोई बात नहीं है। सड़क बहुत खराब है जिसके कारण अभी बसें नहीं जा रही हैं। जैसे ही सड़क में पेचवर्क का कार्य हो जाएगा बस बच्चों को लेने के लिए फिर से शुरू हो जाएगी। तब तक बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था कर देंगे। कमल और स्कूल की प्राचार्या दोनों के ही वक्तव्य अलग-अलग है इस मामले की तस्दीक करने जब मीडिया की टीम वहां गई तो उन्होंने दुर्व्यवहार कर भगा दिया
वहीं इस पूरे मामले पर जब हमने जिला शिक्षा अधिकारी आरपी आदित्य से बात की तो उन्होंने बताया कि स्कूल बस के लिए प्रबंधन और पालकों को बीच रूट और स्थान तय होते हैं वही मिलकर बच्चों को स्कूल पहुंचने की व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं। रही बात तीन मार्कशीट की तो हम इसकी जांच कराएंगे।
तीन मार्कशीट का चक्कर
केदारनाथ डनसेना ने स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि उनकी बच्ची को जानकर 9वीं कक्षा में फेल कर दिया है क्योंकि उन्होंने साल की शुरुआत में स्कूल बस नहीं भेजने पर सवाल उठाया था। इसकी कारण उन्होंने तीन बार मार्कशीट जारी की और वह पास से प्रमोट से फेल कर दी गई। तीसरी बार जारी मार्कशीट में उनकी बच्ची के टर्म टू में सभी में ई ग्रेड है और टर्म वन में सिर्फ एक विषय में ई ग्रेड है। बाकी में अच्छे नंबर है। अंतिम रिजल्ट बच्ची के दोनों टर्म के ओवरऑल परफॉर्मेंस पर आता है। हमने कुछ स्कूलों से बात की सभी ने एक स्वर में कहा कि तीन मार्कशीट जारी करना फिर पास, प्रमोट और फेल का अंतर होना गंभीर बात है। आमतौर पर जो बच्चा कक्षा नवमीं में कमजोर होता है उसे पूरक परीक्षा दिलाकर आगे बढ़ाया जाता है और जो बच्चा स्कूल से जाना चाहता है तो स्कूल उसे प्रमोट ही करता है। इस संदर्भ में हमने जब स्कूल से मालिक कमल अग्रवाल से बात करनी चाही तो उनसे संपर्क नहीं हो सका।
पीड़ित पालक की पाती
पालक केदारनाथ डनसेना ने लिखित में बताया “मैंने 7 मार्च 2020 को कक्षा 8 वीं में बच्ची का और 6 वीं में बच्चे का एडमिशन दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल में कराया था। कोविड के कारण इसी महीने से स्कूल बंद हो गया। जब ऑनलाइन कक्षाएं शुरू हुई तो हमारे यहां नेटवर्क खराब होने के कारण हमारे यहां बच्चे ज्यादा नहीं पढ़ पाये। बीते साल जब बिटियां 9 वीं कक्षा की शुरूआत में थी तो उसे और उसके भाई दोनों को कोविड हो गया था और दोनों की हालत खराब थी। बच्चे कोविड से उबर रहे थे और खराब नेटवर्क के कारण पढ़ाई में दिक्कत हो रही थी। इस साल शुरूआत में जब स्कूल ऑफलाईन चालू हुआ तो बच्चों को लेने बस एक दिन नहीं आई। प्रिंसिपल को मौखिक बोला कि बस भेजो तो उन्होंने कहा गाड़ी दो चार दिन में भेजेंगे, लेकिन कभी नहीं भेजा खाली सांत्वना दिया। जब परीक्षा हुई तो हम अपने साधन से भेजे। मेरी तबियत खराब होने के कारण मार्कशीट लेने नहीं गया और स्कूल में सूचना दी। स्कूल द्वारा फोन कर बताया कि बिटिया पास हो गई है। उसके बाद फीस जमा किया मार्कशीट लेने गया तो पास थी लेकिन मैं बोला मैं यहां नहीं पढ़ाऊंगा तो वे बोले मार्कशीट में कुछ गलती हुई है कहकर मार्कशीट रख लिया और बाद में आने को कहा। फिर मैं जब गया तो मार्कशीट का नंबर चेंज कर दिया गया, लेकिन उसमें प्रमोटेड क्लास 10 लिखा था तो मैं जनरल प्रमोशन समझकर आ गया। जब टीसी लेने गया तो क्लास 9 फेल है टीसी में लिखा गया तो मैंने सवाल किया कि टीसी में ऐसा क्यों तो उन्होंने बताया कि मार्कशीट में गलती से प्रमोट लिखा गया है। तो उसे वापस कर फेल वाला मार्कशीट ले लेना बोले। इस पर मैंने प्रिंसिपल से सवाल पूछा तो प्रिंसिपल बोली लकड़ी घमंडी है उसके तेवर ठीक नहीं है और उसका अटेंडेस भी ठीक नहीं है इसलिए हम फेल कर रहे हैं। हमारे द्वारा विनती किया गया कि लड़की का भविष्य खराब हो जायेगा। दो साल से स्कूल नहीं आई है लेकिन उन्होंने हमारी एक ना सुनी। इसी के चलते बच्ची कहीं नहीं पढ़ूंगी बोलकर अभी तक किसी स्कूल में एडमिशन नहीं लिया और मानसिक रूप से परेशान है। जब इतनी पढ़ी लिखी प्रिंसिपल और क्लास टीचर गलती मात्र से साईन कर सकते है तो समझ लेना चाहिए कि गलती किसकी है। बच्चे तो आखिर बच्चे हैं, लेकिन इन पढ़े-लिखे अपने आप को होशियर समझने वाले मुर्खों का क्या कहना।“