आदिवासी महिला को इंसाफ की पहली सीढ़ी मिलने में ही लग गए बरसो! 9 साल के बाद आरोपी डॉक्टर कंपाउंडर और उसके भाइयों पर दर्ज हुई F.I.R..। न्यायालय ने दिया आदेश ! सीनियर एडवोकेट अशोक मिश्रा और आशीष मिश्रा ने महिला की ओर से दायर किया था मुकदमा.. पढ़िये जिले सनसनीखेज मामले की इनसाइड स्टोरी….।।

सिंहघोष/रायगढ़। रायगढ़ जिले के धर्मजयगढ़ ब्लॉक के एक छोटे से गांव में रहने वाली एक गरीब आदिवासी महिला को इंसाफ की पहली सीढ़ी मिलने में ही 9 साल लग गए! 9 साल पहले 2012 में एक डॉक्टर और उसके परिजनों द्वारा एक कोरे स्टांप पर अंगूठा लगवाकर उसकी बेशकीमती जमीन को हड़प लिया गया था। उस समय न्याय पाने के लिए पीड़ित आदिवासी महिला दर-दर भटकती रही और सभी जगहों से थक हार कर अंत में न्यायालय की शरण में गयी। विशेष न्यायाधीश एट्रोसिटी के निर्देश के बाद अजाक थाना रायगढ़ में मामला दर्ज किया गया। इस मामले में पीड़ित आदिवासी महिला की ओर से सीनियर एडवोकेट अशोक कुमार मिश्रा और अधिवक्ता आशीष कुमार मिश्रा ने मुकदमा किया था। जहां न्यायालय के आदेश के बाद एफ आई आर दर्ज हुई और अब उस पीड़ित आदिवासी महिला के लिए न्याय की दरवाजे खुल गए।
रिपोर्ट के अनुसार धर्मजयगढ़ के एक छोटे से गांव खम्हार में रहने वाली आदिवासी महिला चारमती की धर्मजयगढ़ में ही तुर्रापारा में 18381 स्क्वायर फुट की बेशकीमती जमीन थी। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ खुर्शीद खान और उनके भाई नूर उल्लाह खान, अमीर उल्लाह खान द्वारा पीड़ित महिला से जमीन की फौती दर्ज कराने के नाम पर कोरे स्टांप पेपर पर उसके अंगूठे का निशान ले लिया गया। इस कोरे स्टाम्प पर आरोपी पक्ष ने अपने कंपाउंडर मृणाल मल्लिक को पीड़ित महिला और उसके सह खातेदार का आम मुख्तियार बना दिया। इसके बाद सारी जमीन डॉक्टर ने अपने और अपने भाई के नाम रजिस्ट्री करवा कर हड़प ली।
इस पूरे मामले में एक खास बात यह है कि जमीन की रजिस्ट्री 17 अक्टूबर 2013 को कराई गई है जबकि इसमें 15 नवंबर 2012 की विक्रय रसीद का उपयोग किया गया है। इसके साथ ही रजिस्ट्री में जिस स्टाफ का उपयोग किया गया है वह मुख्तयारनामा के स्टाम्प पहले ही खरीद लिया गया था। जो खुद अपने आप में कहीं ना कहीं साजिश की ओर इशारा करता है।
फिलहाल अजाक थाना पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। न्यायालय के आदेश के बाद डॉ खुर्शीद खान, उनके भाई नूर उल्लाह खान, अमीर उल्लाह खान और कंपाउंडर मृणाल मल्लिक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 120B, 294, 506, एट्रोसिटी एक्ट 3(1) (5), और 3 (1) 10 के तहत अपराध दर्ज किया गया है।
इस पूरे मामले में पीड़ित महिला को न्याय के लिए ऐसे ही काफी देर हो चुकी है। फिलहाल अजाक थाने द्वारा महिला से दस्तावेजों की मांग की गई है, हालांकि यह सभी दस्तावेज सरकारी रिकॉर्ड में भी उपलब्ध है। वैसे देखा जाए तो यह मामला देरी की वजह से सुर्खियों में है। अब पूरे प्रकरण में महिला को इंसाफ के लिए और कितना वक्त लगता है.. इस पर सबकी नजर जरूर रहेगी।