भारत में इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों के निर्माण को बढ़ावा देने सरकार की बड़ी पहल, 4,150 करोड़ रुपये के निवेश के साथ बनेगा वैश्विक विनिर्माण केंद्र

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में केंद्र सरकार ने भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के क्षेत्र में वैश्विक विनिर्माण हब बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। भारी उद्योग मंत्रालय ने “भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना” को मंजूरी देते हुए इसके विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। यह पहल वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य, सतत गतिशीलता और ‘मेक इन इंडिया’ के विजन को साकार करने की दिशा में एक निर्णायक कदम मानी जा रही है।
योजना के प्रमुख बिंदु:
कम सीमा शुल्क पर ईवी आयात की अनुमति:
अनुमोदित कंपनियों को न्यूनतम 35,000 अमेरिकी डॉलर के सीआईएफ मूल्य वाले ई-4व्हीलर (CBU) वाहनों को 15% की रियायती सीमा शुल्क दर पर आयात करने की अनुमति दी जाएगी। यह छूट पांच वर्षों के लिए लागू होगी, जिसमें हर साल अधिकतम 8,000 वाहनों के आयात की सीमा निर्धारित की गई है।
न्यूनतम निवेश आवश्यकता:
योजना के अंतर्गत आवेदन करने वाली कंपनियों को भारत में कम से कम ₹4,150 करोड़ का निवेश करना अनिवार्य होगा।
घरेलू मूल्य संवर्धन (DVA):
योजना के अंतर्गत निर्मित उत्पादों के घरेलू मूल्य संवर्धन का प्रमाणन एमएचआई द्वारा मान्यता प्राप्त परीक्षण एजेंसियों द्वारा किया जाएगा। यह कदम स्वदेशी निर्माण और आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देगा।
बैंक गारंटी:
निवेश, विनिर्माण और योजना की शर्तों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों को किसी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक से बैंक गारंटी देनी होगी। यह गारंटी कुल सीमा शुल्क छूट या ₹4,150 करोड़—जो भी अधिक हो—के बराबर होगी।
अन्य प्रावधान:
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर किया गया खर्च अधिकतम 5% तक निवेश मान्य होगा, जबकि भूमि पर किया गया व्यय शामिल नहीं किया जाएगा। मुख्य संयंत्र और उपयोगिताओं की इमारतों पर खर्च को निवेश में शामिल किया जा सकेगा (अधिकतम 10%)।
निवेश और विनिर्माण को मिलेगा प्रोत्साहन
केंद्रीय मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह योजना भारत को न केवल हरित गतिशीलता में अग्रणी बनाएगी, बल्कि वैश्विक ईवी निर्माताओं के लिए निवेश का आकर्षक केंद्र भी बनेगा। उन्होंने बताया कि स्पष्ट दिशा-निर्देशों और सीमा शुल्क रियायतों के साथ यह योजना वैश्विक तकनीकों के भारत में आगमन और स्थानीय नवाचारों को बढ़ावा देने के बीच संतुलन स्थापित करेगी।
आवेदन प्रक्रिया और शुल्क:
जल्द ही भारी उद्योग मंत्रालय की वेबसाइट पर आवेदन आमंत्रित करने की अधिसूचना जारी की जाएगी।
कंपनियों को 5 लाख रुपये का गैर-वापसीयोग्य आवेदन शुल्क देना होगा।
आवेदन जमा करने की विंडो न्यूनतम 120 दिनों तक खुली रहेगी, और आवश्यकता अनुसार 15 मार्च 2026 तक दोबारा खोली जा सकती है।
यह योजना भारत को इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। यह पर्यावरण संरक्षण, औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन के साथ ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे प्रमुख अभियानों को भी नई ऊर्जा प्रदान करेगी।