छत्तीसगढ़ विधानसभा : रेडी-टू-ईट योजना को लेकर विपक्ष का हमला, सरकार पर भेदभाव और भ्रष्टाचार के आरोप

रायपुर, 15 जुलाई 2025।
छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने रेडी-टू-ईट योजना में गड़बड़ियों को लेकर सरकार को घेरा। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने महिला स्व-सहायता समूहों (SHG) को लेकर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि रेडी-टू-ईट फूड के टेंडर में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने समूहों के चयन में अनियमितता का आरोप लगाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
हालांकि, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने किसी भी प्रकार की अनियमितता से इंकार करते हुए जांच कराने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि प्रक्रिया पारदर्शी रही है और सभी नियमों का पालन किया गया है।
डॉ. महंत के तीखे तेवरों पर सत्तापक्ष ने पलटवार करते हुए उन्हें याद दिलाया कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के लिए ऐसी कोई चिंता नहीं दिखाई। भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के कार्यकाल में ना तो रेडी-टू-ईट योजना में सुधार हुआ और ना ही महिलाओं के समूहों को कोई खास लाभ मिला।
भाजपा सरकार का दावा है कि रायगढ़ जिले में 10 महिला स्व-सहायता समूहों को रेडी-टू-ईट फूड निर्माण का कार्य सौंपा गया है। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि इन समूहों का चयन भी पक्षपातपूर्ण तरीके से किया गया, और कई पात्र समूहों को नजरअंदाज कर दिया गया।
रेडी-टू-ईट योजना महिला एवं बाल विकास विभाग की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसके अंतर्गत 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों और गर्भवती व धात्री महिलाओं को पोषण आहार सप्ताह में एक बार टेक होम राशन के रूप में वितरित किया जाता है। इसमें सामान्य बच्चों को 135 ग्राम, कुपोषित बच्चों को 211 ग्राम और महिलाओं को 165 ग्राम प्रतिदिन की दर से रेडी-टू-ईट फूड प्रदान किया जाता है।
वर्तमान में यह योजना महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से संचालित की जा रही है, जिससे महिलाओं को रोजगार और सशक्तिकरण का अवसर भी मिलता है। लेकिन अब यह योजना राजनीति के केंद्र में आ गई है, जहां दोनों प्रमुख दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, और असली मुद्दा—महिलाओं का हक और पारदर्शिता—पृष्ठभूमि में चला गया है