रायगढ़ : सफाई के नाम पर खेल, ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार फिर मैदान में!

रायगढ़ : नगर पालिका निगम की सफाई व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। शहर को साफ-सुथरा बनाने के लिए निगम ने सात जोनों में बांटकर ठेकेदारों से आवेदन मंगाए हैं, लेकिन हर साल लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद सड़कों पर गंदगी और बरसात में जलभराव की समस्या जस की तस है। सवाल उठता है—आखिर जिम्मेदार कौन?
सूत्रों की मानें तो निगम की सफाई व्यवस्था में बड़ा खेल चल रहा है। जिन ठेकेदारों को पहले ब्लैक लिस्ट किया गया, वे अब नाम और फर्म बदलकर फिर से ठेका हथियाने की जुगत में हैं। चर्चा है कि सबीना कंस्ट्रक्शन, अंबिकापुर, जिसे 2023 में ब्लैक लिस्ट किया गया था, अब नए नाम से मैदान में है। सूत्र बताते हैं कि इस फर्म का मालिक पहले भी EPF/ESIC गबन के मामले में जेल की हवा खा चुका है। फिर भी, निगम के कुछ कर्मचारियों की मेहरबानी से ऐसे ठेकेदारों को दोबारा मौका मिलने की बात सामने आ रही है।
सफाई कर्मियों का दर्द, समय पर वेतन नहीं!: पिछले कुछ वर्षों में ठेकेदारों को निगम से लाखों रुपये समय पर मिलते रहे, लेकिन सफाई कर्मियों को वेतन के लिए तरसना पड़ता है। नतीजा? शहर की सफाई व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है। कर्मचारियों का कहना है, “अगर ठेकेदार समय पर पेमेंट नहीं देंगे, तो साफ-सफाई का बुरा हाल और बिगड़ेगा।”
जलभराव की समस्या और निगम की नाकामी: शहर के कई इलाकों में बरसात के दौरान हर साल जलभराव की स्थिति बनती है। निगम की मशीनरी और स्थायी कर्मचारी इन क्षेत्रों में काम करते दिखते हैं, लेकिन स्थायी समाधान का अभाव साफ नजर आता है। क्या निगम के अधिकारी और कर्मचारी इस लापरवाही के लिए जवाबदेह नहीं?
विधायक और वित्त मंत्री से उम्मीद: शहरवासियों की मांग है कि रायगढ़ विधायक और वित्त मंत्री इस मामले में सख्ती बरतें। निगम के उन कर्मचारियों और ठेकेदारों पर नकेल कसी जाए, जो मिलीभगत से सरकारी खजाने को चूना लगाकर अपने चहेतों को फायदा पहुंचा रहे हैं। जनता चाहती है कि ऐसी कार्रवाई हो, जो भविष्य में मिसाल बने।
सवाल बाकी है: क्या निगम की सफाई व्यवस्था में सुधार होगा, या यह खेल यूं ही चलता रहेगा? जांच और कार्रवाई का इंतजार शहरवासियों को है।