Uncategorised

ओपी चौधरी के खिलाफ हुए उनकी ही पार्टी के युवा नेता

भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत ने सोशल मीडिया पर ओपी पर लगाया पक्षपात का आरोप

क्या रायगढ़ के तथाकथित विकास से पूरे जिले का विकास हो जाएगा : उमेश पटेल

रायगढ़ । “सरकार का पैसा भी रायगढ़ विधानसभा में ही और डीएमएफ, सीएसआर का पैसा भी रायगढ़ विधानसभा में ही खर्च हो और धर्मजयगढ़, लैलूंगा विधानसभा के लोग सिर्फ रोड एक्सीडेंट में बेमौत मरें, धूल खाएं, जमीन देकर बेघर हों, बस रायगढ़ का विकास होना चाहिए… गज़ब का एकतरफा विकास है। डीएमएफ, सीएसआर के नियम जाएं चूल्हे में।”

यह बयान और किसी का नहीं है बल्कि भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत के हैं, जिसे उन्होंने 20 जुलाई को अपने सोशल मीडिया अकाउंट फेसबुक पर एक स्थानीय अखबार की खबर की क्लिप के साथ पोस्ट किया था। उनके पोस्ट करते ही सोशल मीडिया पर रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी को लेकर काफी बयानबाजियां हो रही हैं। इसी के साथ ही अब ओपी चौधरी को लेकर स्थानीय नेताओं में विरोध के स्वर देखने को मिल रहे हैं। वर्तमान में रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी सूबे के दमदार मंत्रियों में से एक माने जाते हैं।

उनके पास पर्यावरण, वित्त, जीएसटी जैसे बड़े विभाग हैं। खुद आईएएस रह चुके ओपी चौधरी विकास की बात करते हैं और विकास को लेकर वे संजीदा भी नज़र आते हैं। वह दिल खोलकर पैसे खर्च कर रहे हैं। उनके इन्हीं पैसों के आवंटन को लेकर अब उनकी ही पार्टी के लोग उन पर गंभीर आरोप और पक्षपात के आरोप लगा रहे हैं।

रवि भगत के पोस्ट पर पार्टी के ही नेता अब बीते विधानसभा चुनाव को भी याद कर रहे हैं कि किस तरीके से रायगढ़ जिले की चार विधानसभा सीटों में से भाजपा ने केवल एक ही सीट पर पूरी ताकत लगा दी। विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा की समीक्षा बैठक में भले यह मुद्दा उठा या न उठा पर ढाई साल बाद भाजपा के युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष की पोस्ट पर अब चुनाव के परिणाम और विकास को लेकर ओपी चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं।

रवि भगत ने जो मुद्दे उठाए हैं वह काफ़ी गंभीर हैं और इन्हीं तीन विधानसभा में कांग्रेस के विधायक हैं और लैलूंगा क्षेत्र से ही रवि भगत आते हैं, तो अपने क्षेत्र में विकास के कार्यों की अनदेखी पर उन्होंने यह पोस्ट किया, जिसे कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी हाथों-हाथ ले लिया। जिले के तीनों कांग्रेसी विधायक बीते 2 साल से लगातार कहते आ रहे हैं कि उनके क्षेत्र में विकास के कार्य नहीं हो रहे हैं। एक तरह से कहा जाए तो इनके आरोपों को भाजपा के ही युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष ने मुहर लगा दी है। अब फिलवक्त भाजपा के लिए असहज स्थिति उत्पन्न हो गई है।

आदिवासी विकास की विरोधी है भाजपा की साय सरकार : उमेश पटेल

खरसिया से कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा आदिवासी क्षेत्रों के विकास की विरोधी है। उसका तथाकथित विकास केवल उन्हीं इलाकों में होता है, जहां से उसे राजनीतिक या आर्थिक लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय स्वयं आदिवासी क्षेत्र से आते हैं, लेकिन जब अपने क्षेत्र के विकास की बात आती है, तो वे आंखें मूंद लेते हैं। स्पष्ट है कि साय सरकार आदिवासी विरोधी है। उमेश पटेल ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने सीएसआर और डीएमएफ नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी कार्य नहीं हो रहे हैं, मानो भाजपा सरकार ने इन इलाकों को पूरी तरह त्याग दिया हो। उन्होंने कहा कि साय सरकार केवल शहरों के विकास पर ध्यान दे रही है, जबकि डीएमएफ और सीएसआर का पैसा उन्हीं गांवों से आता है जिन्हें उजाड़ा गया है। लेकिन उस पैसे का उपयोग गांवों के लिए न होकर सिर्फ शहरी क्षेत्रों में हो रहा है। रायगढ़ जिले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सारा विकास कार्य केवल रायगढ़ शहर तक सीमित है। जबकि खरसिया, लैलूंगा, धरमजयगढ़ जैसे क्षेत्र बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया – क्या केवल रायगढ़ शहर के विकास से पूरे जिले का विकास संभव है? क्या आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों का विकास ज़रूरी नहीं है? क्या डीएमएफ और सीएसआर का पैसा सिर्फ रायगढ़ शहर के लिए है? भाजपा पर तीखा हमला करते हुए उमेश पटेल ने कहा कि यह पार्टी पूरी तरह उद्योगपतियों और व्यापारियों की गोद में बैठकर राजनीति कर रही है। भाजपा को जल, जंगल और जमीन से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि हाल ही में तमनार क्षेत्र में अडानी कंपनी द्वारा हजारों एकड़ जंगल काटे गए, जिसका कांग्रेस पार्टी ने जोरदार विरोध किया। लेकिन भाजपा सरकार ने विकास की आड़ में इस विनाश पर चुप्पी साध ली।

उमेश पटेल ने कहा कि जहां-जहां भाजपा के विधायक नहीं होते, वहां की जनता को भाजपा सरकार जानबूझकर परेशान करती है। उन्हें यह सज़ा दी जाती है कि उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार को वोट नहीं दिया। जिसकी परिणीति यह होती है कि उन क्षेत्रों में न तो विकास कार्यों के लिए बजट जारी किया जाता है और न ही कोई नई योजना शुरू की जाती है। इसका उद्देश्य सिर्फ इतना होता है कि वहां के स्थानीय विधायक और जनप्रतिनिधियों की जनता के बीच छवि ख़राब हो। ऐसी ओछी और दुर्भावनापूर्ण राजनीति सिर्फ भाजपा ही कर सकती है।

आदिवासियों पर जारी भाजपा सरकार की तानाशाही : विद्यावती सिदार

लैलूंगा से कांग्रेस विधायक विद्यावती सिदार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी हार का बदला ले रही है। लैलूंगा क्षेत्र में न तो सड़क की व्यवस्था है और न ही पानी की समुचित सुविधा। गर्मियों में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है, लेकिन इससे प्रदेश सरकार को कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि डीएमएफ और सीएसआर फंड, जिसे कंपनियों और खदानों से लिया जाता है, उसका सबसे अधिक योगदान हमारे ही ब्लॉक तमनार और लैलूंगा से होता है, क्योंकि सभी कंपनियां और खदानें यहीं स्थित हैं।

विडंबना यह है कि डीएमएफ और सीएसआर फंड का एक भी पैसा आज तक लैलूंगा क्षेत्र को नहीं मिला, जबकि प्राथमिकता इसी क्षेत्र को मिलनी चाहिए थी। भाजपा सरकार तथाकथित विकास के नाम पर जंगलों की अंधाधुंध कटाई कर रही है, जिससे आने वाले समय में तमनार का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इस क्षेत्र में पहले ही कोयला खदानों और बड़े-बड़े उद्योगों के कारण सैकड़ों गांवों का विस्थापन हो चुका है। अब अडानी कंपनी 14 और गांवों को खाली करवा रही है, वह भी ग्राम पंचायत और ग्रामीणों की अनुमति के बिना। यह पूरी तरह तानाशाही है, जबरन थोपा गया निर्णय है।

विद्यावती सिदार ने आगे कहा कि 14 जुलाई को जब वह विधानसभा सत्र में थीं, उसी दौरान तमनार क्षेत्र में रेल लाइन के लिए सर्वेक्षण किया गया, लेकिन इसके लिए स्थानीय लोगों की कोई अनुमति नहीं ली गई। यह भाजपा सरकार की निरंकुश तानाशाही का उदाहरण है, जो आदिवासियों को कुचलने पर आमादा है। उद्योग और खदानें आदिवासी क्षेत्रों में ही स्थापित की जा रही हैं, लेकिन इन प्रभावित क्षेत्रों के लिए सरकार कोई ठोस काम नहीं कर रही है।

उल्टा आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन से मिले पैसों से सरकार अपनी मनमानी कर रही है। अब आदिवासी धीरे-धीरे हाशिए पर पहुंचते जा रहे हैं और सरकार को उनकी कोई चिंता नहीं है। वह अपने तथाकथित विकास के राग में इतनी डूबी हुई है कि उसके खुद के नेता अब सरकार पर सवाल उठाने लगे हैं, क्योंकि सच को ज़्यादा दिन छिपाया नहीं जा सकता। विद्यावती सिदार ने कहा कि “अगर आप किसी भी पार्टी से हैं और विकास की बात करते हैं, तो आपको दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करना चाहिए।” उन्होंने भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत का उदाहरण देते हुए कहा कि वे भी लैलूंगा क्षेत्र से हैं और वे भी देख रहे हैं कि प्रदेश सरकार किस तरह उनके ही क्षेत्र की उपेक्षा कर रही है।

उन्होंने डीएमएफ और सीएसआर फंड को लेकर वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। श्रीमती सिदार ने कहा, “मेरे अनुसार ये सारी बातें सत्य हैं, क्योंकि साय सरकार पूरे प्रदेश में सिर्फ पैसे के बल पर विकास का दावा कर रही है। हमारे गांव, हमारी मिट्टी, हमारे जंगल और हमारा जल सब कुछ दांव पर लगाया गया है। प्रदूषण हम झेल रहे हैं और लाभ कोई और उठा रहा है।

बीते दो वर्षों से हमारे क्षेत्र में एक भी ठोस कार्य नहीं हुआ है। जनता सब कुछ शांत होकर देख रही है और समय आने पर माकूल जवाब भी देगी। विपक्ष तो पहले ही विरोध कर-कर के थक चुका है, अब सत्तापक्ष के ही नेता अपनी सरकार पर सवाल उठाने लगे हैं। साय सरकार की इससे बड़ी विफलता और क्या हो सकती है?” आदिवासी विरोधी साय सरकार को यह सोचना चाहिए कि उन्हें विकास किस क़ीमत पर चाहिए?

रायगढ़ शहर ही सब कुछ नहीं… आदिवासी इलाकों को भी चाहिए विकास : लालजीत सिंह राठिया

धरमजयगढ़ से कांग्रेस विधायक लालजीत सिंह राठिया ने भाजपा की साय सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि रायगढ़ जिले में यदि कहीं विकास हो रहा है, तो वह सिर्फ रायगढ़ शहर तक सीमित है। बाकी आदिवासी और ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों को साय सरकार ने पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है। राठिया ने कहा कि डीएमएफ और सीएसआर जैसी योजनाओं से मिलने वाली बड़ी राशि का उपयोग केवल रायगढ़ शहर के लिए हो रहा है, जबकि इसका असली अधिकार धरमजयगढ़, लैलूंगा, तमनार जैसे क्षेत्र हैं, जहां से कोयला, जमीन और संसाधन आते हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि इन क्षेत्रों में प्रदूषण, विस्थापन और बीमारियों का बोझ तो झेलना पड़ रहा है, लेकिन विकास की कोई सुध नहीं ली जा रही।उन्होंने वित्त मंत्री ओपी चौधरी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि वे केवल रायगढ़ शहर के विधायक नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के वित्त मंत्री हैं। लेकिन उनके कार्यकाल में सारा ध्यान सिर्फ रायगढ़ शहर पर केंद्रित है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए उनके पास सिर्फ भाषण हैं। राठिया ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जब तमनार क्षेत्र में अडानी समूह द्वारा हजारों एकड़ जंगल काटे जा रहे हैं और आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही है, तब मुख्यमंत्री एक शब्द भी नहीं बोलते। यह आदिवासी विरोधी मानसिकता का परिचायक है।

उन्होंने कहा, “हमारे क्षेत्र की ज़मीनें उद्योगों को दे दी गईं, लेकिन बदले में न तो रोजगार मिला, न स्वास्थ्य सुविधा, न शिक्षा। केवल रायगढ़ शहर पर उनका फोकस रहा है, बाकी जिले के क्षेत्र अंधेरे में हैं।” भाजपा की डबल इंजन सरकार पर तंज कसते हुए राठिया बोले, “यह इंजन उद्योगपतियों के इशारे पर चलता है। आदिवासियों के अधिकार और अस्तित्व इनके लिए कोई मायने नहीं रखते।”

उन्होंने कहा कि भाजपा नेता रवि भगत ने सार्वजनिक रूप से जो कहा, वह सिर्फ लैलूंगा की पीड़ा नहीं है वह धरमजयगढ़ और खरसिया की भी सच्चाई है। सत्तापक्ष के नेता जब खुद सवाल उठाने लगे हैं, तो भाजपा सरकार को आत्ममंथन करना चाहिए।” उन्होंने अंत में कहा, “हमारे गांवों से कोयला, जमीन, जंगल सब कुछ सरकार ले रही है, लेकिन बदले में विकास नहीं, बल्कि विनाश दे रही है। कांग्रेस जनता के साथ है, और जनता इस अन्याय का जवाब भविष्य में जरूर देगी।”

Advertisement
Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button