छत्तीसगढ़

कटघोरा वन मंडल भ्रष्टाचार को लेकर आये दिन रहा है सुर्खियों में,यहाँ रेंजरों के बड़े बड़े कारनामे होते रहे हैं उजागर…..

रितेश गुप्ता की रिपोर्ट…

सिंहघोष/कटघोरा छत्तीसगढ़ शासन का वन विभाग के अंतर्गत कटघोरा वन मण्डल हमेशा अखबारों व सोशल मीडिया की हेड लाईन में छाया रहता है।यहाँ वन मण्डल के अधीनस्थ परिछेत्रो में रेंजरों के बड़े बड़े भ्रष्टाचार के कारनामें अक्सर देखने को मिलते रहते हैं यहाँ रेंजर कारनामो को यू अंजाम देते है मानो इनके लिए यह एक अनुभवी कला है।इतना ही नही यहाँ चाहे हजारो पेड़ो की कटाई की बात हो या लाखो रुपये के निर्माण कार्यो की बात हो, भ्रस्टाचार कहा करना है ये यहाँ के अनुभवी अधिकारियों से अच्छा भला कौन जान सकता है।

यहाँ पूर्व में पदस्थ डीएफओ संत साहब का कार्यकाल भी काफी विवादों में रहा है।कई प्रकार की खामियां वन मण्डल में नजर आते रही है।वही अगर बात करे परिछेत्रो कि तो एतमानगर परिछेत्र में पदस्थ पूर्व रेंजर राठिया साहब के कार्यकाल में मानगुरु में अवैध तरीके से हजारों पेड़ो की कटाई का मामला काफ़ी चर्चित बना रहा और इस कटाई की किसी को कानो कान भनक तक नही लग पाई थी।इस मामले के दरमियान यहाँ पूर्व एसडीओ प्रेमलता यादव अपनी सेवाएं दे रही थी इतनी बडी मात्रा में अवैध तरीके से पेड़ो की कटाई हो जाना और एसडीओ को भनक तक नही ये भी एक संदेहास्पद विषय बना रहा है।

ऐसे ही लगभग दो वर्ष पूर्व से ही जड़गा वन परिछेत्र ने भी काफी सुर्खियां बटोरी है।यहाँ पदस्थ रेंजर मरकाम साहब भी अपने कार्यो को लेकर काफी विवादों में बने रहे हैं और अभी तक यह परिछेत्र विवादों के आगोश से बाहर नही आ पाया है।यहाँ निर्माणाधीन लाखो के एनीकट अपनी गुणवत्ता पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।जिस वजह पूर्व डीएफओ संत साहब ने इन एनीकटों का भुगतान करने तक से इनकार कर दिया था और सालो से इनका भुगतान नही हो पाया है।

वन मण्डल की वर्तमान डीएफओ शमा फारूकी ने अब पदभार संभाला है और पदभार संभालते ही लगातार रेंजों में विजिट भी किया गया है।जहाँ खामियां नजर आई है उन्हें दूर करने का भी लगातार प्रयास किया जा रहा है।वही जड़गा वन परिछेत्र में बने एनीकट मामले को फारूकी जी ने स्वयं विजिट कर देखा है।अब यहाँ पर एक बड़ा सवाल यह बना हुआ है कि जड़गा वन परिछेत्र में बने गुणवत्ता विहीन एनीकटों को किस नजरिये से देखती है और इन गुणवत्ताविहीन एनीकटों का किस तरह समाधान करती है।

यहाँ बने एनीकट क्या वास्तव में एस्टीमेट के हिसाब से सही बने हैं? यह भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है।महज 7 से 15 दिनों में एनीकट बन जाना भी इसकी मजबूती पर सवाल खड़े किए हुए हैं।यहाँ पदस्थ रेंजर ने अपने चहेते नुमाईंदों को एनीकट निर्माण का कार्य दे दिया था।कार्य मिलने की खुसी में नुमाईंदों ने घटिया और गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्य कर रेंजर को कटघरे में खड़ा कर दिया है।इतना ही नही वन मण्डल में इन अनुभवविहीन नुमाइंदों ने घटिया कार्य कर भ्रष्टाचार का जबरदस्त मुद्दा तैयार कर दिया है अगर इसकी जांच उच्च स्तरीय टीम से करवाई जाए तो कई खामियां सामने आ सकती है।

सूत्रों से यह जानकारी यह मिल रही है कि जड़गा वन परिछेत्र में बने गुणवत्ताविहीन एनीकटों का भुगतान जल्द ही हो सकता है।विवादित एनीकटों को लेकर डीएफओ फारूकी जी ने आखिरकार विजिट के दौरान क्या पाया और किस तरह की टीम बनाकर इनकी जांच की गई,इस तरह के तमाम सवालो के बीच अभी भी यह चर्चा का सवाल बना हुआ है।अब यह तो आने वाले दिनों में ही देखने को मिलेगा की कौन से एनीकट सही पाए गए थे और कौन से गुणवत्ता विहीन रहे।इन तमाम बातों के बीच यह तो जाहिर हो चुका था कि पूर्व डीएफओ संत साहब ने एक भी एनीकट का भुगतान नही किया था।

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