1 दिसंबर से कुपोषित बच्चों को घर पर ही मिलेगा गर्म खाने का टिफिन..।कुपोषित बच्चों के घर-घर खाना पहुंचाएगी महिला एवं बाल विकास विभाग..।।

समीक्षा बैठक में कलेक्टर ने दिया था आदेश
रायगढ़ 25 नवंबर 2020. कोरोना संक्रमण काल में आंगनबाड़ी केंद्र बंद है। बच्चों को मिलने वाले भोजन का सूखा राशन उन्हें दिया जा रहा है पर आंगनबाड़ी केंद्रों के भोजन नहीं मिलने के कारण मध्यम स्तर के कुपोषित बच्चों के वजन में कमी आ रही है। वो सुपोषित न होकर कुपोषण की ओर बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए ऐसे बच्चों को टारगेट करते हुए जिले में अब 1 दिसंबर से महिला एवं बाल विकास विभाग हर दिन गर्म खाने का टिफिन उनके घर तक पहुंचाएगी। जो बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र में नहीं पहुंच पा रहे हैं उन्हें डिब्बे से भोजन उपलब्ध कराने के निर्देश पिछले दिनों कलेक्टर भीम सिंह ने दिए थे।

जिले में 1 अक्टूबर से आंगनबाड़ी भी खोले गए हैं यह केंद्र ऐसे गांव में खोले गए हैं जहाँ पर कोरोना संक्रमण नहीं है हालांकि ज्यादातर परिवार कोरोना के खतरे के कारण बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर नहीं भेज रहे हैं। महिला बाल विकास के अधिकारियों का कहना है कि बच्चों को घरों तक कच्चा राशन दिया जा रहा था लेकिन कुपोषित बच्चों को पर्याप्त आहार नहीं मिल पा रहा था। कलेक्टर भीम सिंह ने कहा कार्यकर्ताओं के जरिए बच्चों के लिए घर तक खाना पहुंचाएं और सुनिश्चित करें कि टिफिन का उपयोग बच्चे ही करें। इन टिफिन को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका बच्चों के घरों तक पहुंचाएंगे।
जिले में कुल 17,649 कुपोषित बच्चे हैं जिनमें मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या 15,510 है, गंभीर कुपोषित बच्चे 2,139 हैं। अभी इन्हीं बच्चों को ही टिफिन में भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। कुपोषित बच्चों को हफ्ते में सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को गुड़ और गेहूं से बनी गर्म मीठा दलिया एवं बुधवार को एक-एक अंडा दिया जाता है। अंडा नहीं लेने वालों को केला दिया जाता है। मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को गर्म वेजिटेबल खिचड़ी दी जाती है। कोरोना संक्रमण के कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घरों में जाकर बच्चों को भोजन उपलब्ध कराएंगे।
कुषोपण भगाना हमारा लक्ष्य : डीपीओ जाटवार
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला परियोजना अधिकारी टीकवेंद्र जाटवार बताते हैं कि 7 नवंबर को महिला एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा में बैठक में जिले में कुपोषण पर नियंत्रण करने के लिए कलेक्टर भीम सिंह ने विभाग को हरसंभव कोशिश करने को कहा था। चूंकि 7 नवंबर तक महीने का सूखा राशन बांट दिया जाता था इसलिए दिसंबर महीने से बच्चों के घर-घर तक टिफिन पहुंचाया जाएगा। बच्चों के लिए टिफिन ग्राम पंचायत, पार्षद और स्व-सहायता समूह के लोग दे रहे हैं। इसके बाद भी अगर टिफिन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते हैं तो कलेक्टर ने कहा है कि जिला खनिज न्यास निधि से इसे दिया जाएगा।श्री जाटवर आगे कहते हैं कि जिले से कुपोषण भगाना हमारा लक्ष्य है और हम इसके प्रति प्रतिबद्ध हैं।
30 फीसदी ही आंगनबाड़ी केंद्र अब तक खुले
कोरोना संक्रमण के मद्देनजर बीते 7 महीने से जिले के 3,410 आंगनबाड़ी केंद्र बंद थे इसमें से 476 आंगनबाड़ी को 7 अक्टूबर को खोला गया है। जिन आंगनबाड़ियों को चिन्हांकित करके खोला गया है वहां कोरोना संक्रमण नहीं था और था भी तो कई दिनों से कोई मामला नहीं आने पर ही चयन किया गया। इन 476 आंगनबाड़ी में सभी ग्रामीण क्षेत्र के ही हैं इनमें से एक भी शहरी क्षेत्र के आंगनबाड़ी नहीं है। इसके बाद 800 से अधिक आंगनबाड़ियों को खोला गया है। लगभग 1,200 आंगनबाड़ियों को खोला जा चुका है। शहर की आंगनबाड़ियों को खोलने में अभी समय है। महिला एवं बाल विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार शहरी क्षेत्र में कोरोना का प्रकोप कम ही नहीं हो रहा है ऐसे में वो शहरी क्षेत्र के 157 आंगनबाड़ियों को खोलने में पक्ष में नहीं क्योंकि 130 से अधिक किराए के घर-मकान में चलते हैं और वहां जगह भी कम होती है।
तैयार हो रही पोषण वाटिका
आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बनाए जाने वाले गर्म खाने के लिए पोषण वाटिका में सब्जी व फल तैयार किए जा रहे हैं। वाटिका में तैयार होने वाली सब्जी गर्म खाना बनाने में प्रयोग होती है। इससे बच्चों को शुद्ध पौष्टिक सब्जी व फल खाने को मिलता है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस बाबत बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रो में पोषण वाटिका में पौधे व सब्जियों की खेती शुरू हो गई है। विभाग यहां मुनगा के पौधौं को लगाने पर भी ज्यादा जोर दे रहा है। जिन-जिन आंगनबाड़ियों में पोषण वाटिका तैयार हो गई है वो जिला मुख्यालय में उसकी फोटो भेज रहे हैं।