रायगढ़

तमाम विभागों के नाक के नीचे शहर में फिर एक बड़े जमीन सौदे की ख़बर…।।

सूत्र बताते है कि लगभग 11 करोड़ रु सरकारी मूल्य की भूमि 72 से 75 करोड़ रु के बीच बिकी…।आयकर और राजस्व विभाग दोनों की सतर्कता जरूरी….।।

सिंहघोष/रायगढ़-29.04.22- औद्योगिक जिले में नोटबन्दी और कोरोना महामारी के बाद जमीन का कारोबार फिर एक बार से जोर पकड़ने लगा है। लोग दो नमंबर की कमाई के पैसे अर्थात काला धन जमीनों में लगाकर उंक्त रकम को तड़ाक-फड़ाक में दो से चार गुना करने में लग गए है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार हाल ही में शहर में कुल आधे दर्जन से अधिक बड़े और बेनामी सौदे हुए हैं। जिनकी खरीद बिक्री सरकारी मूल्य से कही अधिक लगभग 10 गुने दाम पर हुई है। विडम्बना यह है कि ऐसे तमाम लोगों सौदों की जानकारी शहर के आम नागरिकों को है परन्तु सम्बन्धित सरकारी विभाग के अफसर और कर्मचारी आश्चर्यजनक ढंग से आंख मूंदे बैठे है।

हालाकि ऐसे तमाम सौदे खरीददारों और विक्रेताओं के बीच गुपचुप तरीके से होते हैं। इसलिए आम तौर पर बहुत कम सौदों की जानकारी बाहर आ पाती है। परन्तु इस तरह के सौदों में न केवल राजस्व विभाग बल्कि आयकर को भी बड़ी क्षति उठानी पड़ती है।

लोग आयकर और राजस्व विभाग के खर्चे बचाने के लिए सौदे की वास्तविक रकम छुपाने का आपराधिक कार्य करते हैं।इस तरह के कई सौदों के बीच एक नया बेनामी भूमि का सौदा शहर के लोगों के बीच चर्चा में हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सर्कस मैदान के पास सावित्री नगर कालोनी कालोनी रोड में स्थित 24 एकड़ भूमि जिसका भूमि स्वामी कोई नामचीन जमीन करोबारी कम राईस मिलर/साल्वेंट कारोबारी बताया जा रहा है। सूत्रों की माने तो उक्त भूमि को टाउन हाल के पास के किसी जमीन कारोबारी ने खरीदा है। भूमि का कुल सौदा लगभग 72 करोड़ रु में तय किया गया है। बयाने के रूप में बड़ी रकम सम्भवतः 7 से 8 करोड़ रु विक्रेता को दिए भी जा चुके है। भूमि सौदे की आगे की प्रक्रिया काफी तेजी से पूरी की जा रही है। चुकि भूमि सौदे की रकम काफी बड़ी है और सौदे में क्रेता विक्रेता दोनों ही तरफ से इस सौदेबाजी में बेमानी की रक़म को छुपा कर लेन-देन किया जाना है। ऐसी स्थिति में आयकर विभाग से लेकर राजस्व विभाग को थोड़ी सक्रियता दिखानी जरूरी है। ताकि बेनामी सौदों के नाम पर शासन-प्रशासन को लाखों करोड़ों रुपयों की क्षति पहुंचाने वाले बेईमान लोगों के हौसले पस्त हों।

इस तरह के मामलों को लेकर शहर के चर्चित युवा समाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी कहते है कि जिस किसी को इस तरह के बेनामी सौदों की जानकारी हो उन्हें अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझकर क्रेता-विक्रेता और मध्यस्थों के नाम सम्बन्धित विभाग को बिना किसी डर भय के बताना चाहिए। ताकि इस तरह के गम्भीर आर्थिक अपराधो में संलिप्त लोगों को उचित दण्ड दिलाया जा सके साथ ही शासन को होने वाली आर्थिक क्षति को भी रोका जा सके। ज्यादातर मामलों में जानकारी के अभाव में विभाग के जिम्मेदार अधिकारी चाह कर भी कुछ नही कर पाते है। वैसे आज की परिस्थितियों में छ ग राज्य में पूंजीपतियों के आगे नियम कायदे या कानून सब बौना साबित हो रहा है। प्रभावशाली और धनाढ्य लोगों की संलिप्तता में जमीन का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है। सही मायनों में कोई रोकने टोकने वाला बचा ही नही है।

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