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मोहरा भोंदू दास हुआ गिरफतार…। मास्टर माइंड पर कब होगी कार्यवाही…?? ग्राम चिल्हाटी की भूमि ख.नं. 224/3, 232/12 रकबा क्रमशः 4.95, 1.00 एकड़ का मामला…।।

इस मामले में जुड़े सभी राजस्व अधिकारियों,कर्मचारियों की भी जांच होनी चाहिए…।।

सिंहघोष/बिलासपुर-०८.०३.२२– शहर से लगे चिल्हाटी ग्राम में जमीनों के दस्तावेजों में हेरफेर करने मामले की जांच में आज जमीन की हेरफेर करने वाला भोंदू दास को आज पुलिस ने आखिर गिरफ्तार कर ही लिया इस हेरफेर में शामिल अन्य आरोपीयो की गिरफ्तारी होना बाकी है जैसे जैसे जांच आगे बढ़ेगी उन पर भी पुलिस की कार्यवाही होगी,इस प्रकरण में कहि न कहि राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत होने का अंदेशा साफ दिखाई दे रहा है इन पर भी जांच होनी चाहिये?

मामला कुछ ऐसा – वर्ष 2015-16 में तहसीलदार बिलासपुर के पद पर सन्दीप ठाकुर पदस्थ थे। जिस दौरान न्यायालय में आवेदक भोंदूदास के द्वारा ग्राम चिल्हाटी की भूमियों के संबंध में आवेदन पत्र प्रस्तुत किये गये थे। जिस पर निम्नानुसार तहसीलदार सन्दीप ठाकुर ने न्यायालयीन कार्यवाही की :- ग्राम चिल्हाटी की भूमि ख.नं. 224/3, 232/12 रकबा क्रमशः 4.95, 1.00 एकड़ के संबंध में आवेदक भोंदूदास ने पंजीकृत विक्रय पत्र से विक्रेता गुलाल वल्द सुधवा निवासी गतौरा जिला बिलासपुर से दिनांक 01.05.1976 को क्रय कर काबिज होने के आधार पर एवं ख.नं. 267/18 रकबा 2.00 एकड़ भूमि पूर्व अभिलेखों में अपना नाम दर्ज होने तथा वर्तमान राजस्व अभिलेखों में नाम विलोपित होने से अभिलेख सुधार का आवेदन न्यायालय तहसीलदार बिलासपुर में प्रस्तुत किया था। आवेदन पत्र के साथ उपपंजीयक बिलासपुर के कार्यालय की पंजीकृत बैनामा दिनांक 01.05.1976 की सत्यापित प्रति, मुख्य प्रतिलिपिकार जिला कार्यालय बिलासपुर की बी-1 किस्तबंदी वर्ष 1954-55, खसरा पांचसाला वर्ष 1985-86, बी-1 किस्त बंदी वर्ष 1984-85, आदि की सत्यप्रतिलिपि संलग्न थे। जिस पर विधिवत न्यायालयीन कार्यवाही प्रारंभ कर ग्राम एवं दैनिक समाचार पत्र में ईश्तहार का प्रकाशन, आवेदक के आवेदन में उल्लेखित
ईश्तहार का प्रकाशन, आवेदक के आवेदन में उल्लेखित अनावेदकगणों को नोटिस जारी किया गया, हल्का पटवारी से प्रतिवेदन, आवेदक एवं स्वतंत्र साक्षियों का शपथ पूर्वक कथन कराया गया। विधिवत न्यायालयीन कार्यवाही पूर्ण होने के पश्चात् किसी प्रकार की दावा आपत्ति प्राप्त नहीं होने पर आवेदक द्वारा प्रस्तुत प्रति दस्तावेजों, हल्का पटवारी के पंचनामा सहित प्रतिवेदन दिनांक 14.10.2016 तथा आवेदक भोंदूदास एवं स्वतंत्र साक्षियों के शपथ पूर्वक कथन आदि के आधार पर दिनांक 22.10.2016 को आवेदक के पक्ष में खसरा नंबर 224, 232 रकबा 4.50, 1.00 एकड़ भूमि का अभिलेख दुरूस्ती का न्यायालयीन आदेश राजस्व न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के हैसियत से छ.ग.भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 115, 116 के तहत् नियमानुसार पारित किया गया।

शिकायतकर्ता :- इस हेरफेर की शिकायत सरकंडा पुलिस के मुताबिक, शिकायतकर्ता नवल शर्मा व देवकीनंदन उपाध्याय ने चिल्हाटी के 22 एकड़ सरकारी, बंधिया तालाब सहित अन्य बेनामी जमीन को फर्जी व कूटरचित दस्तावेजों के जरिए उसमें कब्जा करने व उसके विक्रय करने की शिकायत की थी इसके अलावा प्रधानमंत्री पोर्टल में भी शिकायत नवल शर्मा द्वारा की गई जिसकी जांच का आदेश बिलासपुर राजस्व कलेक्टर द्वारा की जा रही थी ।

मामला सामने कैसे आया-

सामाजिक कार्यकर्ता आरटीआई एक्टविस्ट महफूज खान को जैसे ही पता चला कि जमीन के दस्तावेज हेरफेर कर जमीन को टुकड़ो में बेचा जा रहा है उन्होंने तुरन्त शिकायतकर्ता नवल शर्मा से दस्तावेज एवं कुछ दस्तावेज आरटीआई के द्वारा निकाला इन्ही दस्तावेज के द्वारा तत्कालीन तहसीलदार नारायण गबेल को दस्तावेजो के माध्यम से कूटरचना की शिकायत की गई एवं जमीन को टुकड़ो में बेचने एवं नामांतरण रोकने की अपील की लेकिन जांच एवं प्रकरण लंबित होने के बावजूद इन जमीनों को टुकड़ो में बेचा ही नही गया बल्कि नामान्तरण भी कर दिया गया। जिसका जिक्र मीडिया के माध्यम से सामने लाने का प्रयास किया गया जिस पर पुलिस ने शिकायतों के आधार इस पर संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू की ।

इस जमीन के हेरफेर की शिकायत की बिना जांच किये पटवारी,आर.आई,तत्कालीन तहसीलदार ने इस कार्य को अंजाम दिया इसके लिए कहि न कहि ये सभी जिम्मेदार है इन पर जांच होनी चाहिए आखिर ऐसे कैसे जमीनों के दस्तावेज की जांच किये बिना जमीनों को दस्तावेजों में चढ़ाया जा रहा है एवं टुकड़ो में बेचने के साथ नामान्तरण भी कर दिया गया?

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