भीषण गर्मी से रहें सावधान..। लू में लापरवाही पड़ सकती भारी…।।

सिंहघोष/रायगढ़-20.04.22-जिले में तापमान 45 डिग्री तक पहुंच चुका है आगामी दिनों में भी तापमान कम होने के आसार नहीं लग रहे है। दिन-प्रतिदिन लू भी अपना असर दिखाने लगी है। दस्त,उल्टी और डायरिया के मरीज भी बढ़ रहे हैं ऐसे में शरीर का बचाव न करना परेशानी का कारण बन सकता है।
जिंदल फोर्टिस अस्पताल के डा.छत्रपाल पटेल ने बताया: “तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना तथा सिर में तेज दर्द होना, अधिक प्यास लगना,मूत्र कम होना व जलन होना, पसीना नहीं आना,भूख कम लगना,चक्कर आना तथा कभी-कभी बेहोश हो जाना लू के लक्षण हैं। इस दौरान लापरवाही करने पर मांसपेशियों में दर्द, थकावट तथा बेहोशी भी हो सकती है, जिसमें बुखार नहीं होता है। ऐसे में मरीज को तापमान नियंत्रण प्रणाली सामान्य होने तक आराम करना चाहिए। साथ ही अधिक पानी दें। अन्य उपलब्ध पेय पदार्थ जैसे आम का पना,जलजीरा,मठ्ठा,शर्बत,नींबू पानी आदि पिलाते रहना चाहिए।”
अशर्फी देवी महिला चिकित्सालय के प्रमुख डॉ. रूपेंद्र पटेल का कहना है: “लगातार एक या दो घंटे कड़ी धूप में रहने से शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है। इससे शरीर के आंतरिक अंगों विशेषकर मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है। इससे बचाव के लिए रोगियों के शरीर के तापमान को तुरंत कम करना जरूरी है। इसके लिए सभी चिकित्सा प्रभारियों को ठंडे पानी से पूरे शरीर का स्पांज कर बाहर से तापमान कम करने और ग्लूकोज ड्रिप चढ़ाकर आंतरिक तापमान कम कराने को कहा गया है। इलाज में देरी होने से मस्तिष्क व किडनी को गंभीर क्षति हो सकती है और कई बार रोगी की मौत भी हो जाती है।”
स्वास्थ्य विभाग के मेडिकल ऑफिसर डॉ राघवेंद्र बोहिदार के अनुसार त्वचा गर्म और लाल हो, पसीना नहीं आए, नाड़ी व सांस की गति तेज हो जाएं, डर-हताशा, कमजोरी, थकान, सिरदर्द, उल्टी, व्यवहार में परिवर्तन, भ्रम की स्थिति, चलने में परेशानी, बेहोशी हीट स्ट्रोक(लू लगने) के लक्षण हैं। ऐसे में मरीज को तुरंत छांव व हवादार जगह में जाने के साथ नजदीकी अस्पताल जाना चाहिए।
लू से बचाव के उपाय:-
- अधिक से अधिक पानी पीएं। प्यास न लगी हो तब भी पानी पीएं
- हल्के रंग के पसीना शोषित करने वाले वस्त्र पहनें
- धूप के चश्मे, छाता, टोपी, साफा आदि का प्रयोग करें
- खुले में कार्य करने वाले लोग सिर,चेहरा,हाथ पैर को गीले कपड़े का प्रयोग से बचें
- यात्रा करते समय पीने का पानी साथ रखे
- ओआरएस, घर में बने हुए पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी, नींबू, पानी, छांछ आदि का सेवन करें
क्या न करें:-
- बच्चों एवं पालतू जानवरों को खड़ी गाड़ियों में न छोड़ें
- दोपहर 12 से 3 बजे के मध्य सूर्य की रोशनी में जाने से बचें
- गहरे रंग के सिथेटिक कपड़ों को पहनने से बचें
- अधिक तापमान मे श्रमसाध्य करने, शराब, चाय, कॉफी, कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक आदि के उपयोग से बचें
- किसी भी प्रकार के लक्षण महसूस होने पर बिना चिकित्सीय सलाह के कोई भी दवा न लें
दस्त एवं संक्रामक रोगों से इस तरह बचें:-
- अधिक दस्त, त्वचा सूखने तथा पैरों में एठन होने पर नींबू की शिकंजी तथा ओआरएस के घोल का प्रयोग करें
- भोजन के पहले हाथ साबुन से अवश्य धोएं
- हैंडपंप के पानी का प्रयोग करें, तथा कम जलभराव वाले कुएं, स्रोतों व उथले हैंडपंप के पानी का प्रयोग न करें
- मच्छरों से बचाव के पूरे इन्तजाम करें। मच्छरदानी, क्वाइल आदि का प्रयोग करें