रायगढ़

भूमि स्वामी द्वारा राजस्व न्यायालय को गुमराह कर औद्योगिक प्रयोजन हेतु वृक्ष काटने की मांगी अनुमति, 50,000 वृक्षों पर मंडराया खतरा….।।

ग्राम शिवपुरी गेरवानी प.ह.नं. 27 में खसरा नंबर 31 कुल रकबा 299.011 हे.भूमि पर मात्र 200 विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों आवेदन पर उल्लेख….

सिंहघोष/रायगढ़.07.06.22.आर.आर.आयरन एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड की ओर से डायरेक्टर विजय कुमार अग्रवाल पिता नंदकिशोर अग्रवाल निवासी आरआर विला जिंदल रोड भगवानपुर तहसील व जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़ द्वारा आवेदन पत्र प्रस्तुत कर ग्राम शिवपुरी गेरवानी प.ह.नं. 27 स्थित स्वयं की भूमिस्वामी हक की भूमि कुल खसरा नंबर 31 कुल रकबा 299.011 हेक्टेयर भूमि पर स्थित लगभग 200 विभिन्न प्रजाति के वृक्षों को भूमि के औद्योगिक प्रयोजन उपयोग हेतु काटे जाने बाबत आवेदन अनुविभागीय अधिकारी (रा.) रायगढ़ किया गया है! आवेदन पर न्यायालय अनुविभाग अधिकारी (रा.) रायगढ़ द्वारा 25/05/2022 को वनमंडलअधिकारी रायगढ़ को उपरोक्त वृक्षों की कटाई किए जाने के संबंध में भौतिक सत्यापन कर अपना स्पष्ट अभिमत प्रतिवेदन अनुविभाग (रा.) न्यायालय को भिजवाने के निर्देश दिए हैं!

गौरतलब हो कि वन विभाग द्वारा उपरोक्त भूमि पर स्थित पेड़ों का भौतिक सत्यापन कर मौका पंचनामा तैयार कर विभाग को जांच प्रतिवेदन सौंप दिया गया है! औद्योगिक प्रयोजन हेतु भूमि स्वामी द्वारा राजस्व न्यायालय को पेड़ काटने की अनुमति के संबंध में आवेदन पत्र और वन विभाग द्वारा भौतिक सत्यापन की जांच प्रतिवेदन में जमीन-आसमान का अंतर नजर आ रहा है, जहां आवेदक ने उपरोक्त भूमि पर मात्र 200 दृश्यों की जानकारी दी थी वही भौतिक सत्यापन में 50,000 से अधिक वृक्ष होने की बातें सामने आ रही!

लगातार बढ़ता औद्योगिकीकरण कटता जंगल,घटता भूगर्भ जलस्तर प्रदूषित हो रहा पर्यावरण, जीवनदायिनी नदियों के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा…
जिले में विकास के नाम पर विनाश का खेल बदस्तूर जारी है, बीते दो दशकों के दौरान रायगढ़ जिला औद्योगिक हब के रूप में सामने आया हैं! उद्योगों की स्थापना के लिए जिले में हजारों लाखों पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हुई, पर्यावरण को संतुलित करने में पेड़ पौधे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं! लेकिन जिले में लगातार बढ़ते औद्योगीकरण व घटते जंगलों की वजह से पर्यावरण को गहरा आघात पहुंचा है! जिले में ना सिर्फ प्रदूषण का स्तर बढ़ा है बल्कि सड़क दुर्घटनाओं में भी इजाफा हुआ है! उद्योगों द्वारा जल स्रोतों एवं भूगर्भ जल का भी अंधाधुंध दोहन के कारण जल का स्तर लगातार गिरता जा रहा है! उद्योगों द्वारा उपयोग किए गए केमिकल युक्त प्रदूषित जल से जलीय जीव जंतुओं का तेजी से विघटन हो रहा हैं! प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि दो दशक पहले जिन नदी, नाले और तालाबों के जल का दाल-चावल पकाने व पिने में उपयोग किया जाता था आज उन जल स्रोतों में लोग नहाने-धोने से भी कतरा ने लगे हैं! बढ़ते औद्योगिकीकरण, घटती जंगलें,घटता जलस्तर और प्रदूषण की वजह से जीवनदायिनी कहे जाने वाले नदी नाले और जल स्रोतों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है!

बहरहाल अब यह देखना लाजिमी होगा कि औद्योगिक प्रयोजन हेतु भूमि स्वामी द्वारा वृक्षों को काटने की अनुमति के मामले में जांच प्रतिवेदन के आधार पर राजस्व न्यायालय को गुमराह कर गलत जानकारी देने वाले भूस्वामी पर किस प्रकार की कार्यवाही की जाएगी!

वर्जन…
उपरोक्त मामले में भौतिक सत्यापन कर जांच प्रतिवेदन मंगाया गया है जांच प्रतिवेदन आई नहीं है जांच प्रतिवेदन के आधार पर आगे कार्यवाही की जावेगी!

युगल किशोर उर्वशी
अनुविभागीय अधिकारी (रा.) रायगढ़

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button