रायगढ़

विश्व ग्लूकोमा सप्ताह शुरू…। पीएसची, सीएचसी और जिला अस्पताल में कराएं निशुल्क आंखो की जांच…।।

सीएमएचओ कार्यालय में ग्लूकोमा के मरीजों की पहचान के लिए हुआ वर्कशॉप

ग्लूकोमा से अपनी दृष्टि बचाएं, समय रहते जांच कराएं:डॉ. मीना पटेल

सिंहघोष/रायगढ़-०६.०३.२२-कलेक्टर भीम सिंह के मार्गदर्शन में एवं जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ.एस एन केसरी के निर्देश पर विश्व ग्लूकोमा सप्ताह 6 मार्च से 12 मार्च तक मनाया जा रहा है। इसके लिए जिले के समस्त नेत्र सहायक अधिकारियों की कार्यशाला बीते दिनों सीएमएचओ कार्यालय के सभागार में हुई।

इसमें राष्ट्रीय अंधत्व निवारण एवं अल्प दृष्टि कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डॉ.मीना पटेल ने बताया कि ग्लूकोमा में एक बिंदु ब्लाइंड स्पॉट की शुरुआत कैसे होती है और यह रेटिना के अन्य जगहों पर बनते हुए एक परिधीय वृत्त का रूप ले लेती है जिससे हमारी केंद्रीय दृष्टि तो बची रहती है पर परिधीय दृष्टि खत्म हो जाता है। इससे हमें बीच की दृष्टि से ठीक दिखता है जिसके कारण हमें इस बीमारी का पता समय पर नहीं चल पाता और समय के साथ-साथ यह बीमारी और भी गंभीर होती जाती है। जिससे खोई हुई दृष्टि पुनः प्राप्त नहीं होती अपितु बची हुई दृष्टि को दवाइयों एवं ऑपरेशन के माध्यम से स्थिर रखा जा सकता है इसलिए समय-समय पर आंखों की डॉक्टरी जांच करा कर ग्लूकोमा की प्रारंभिक अवस्था में ही इसका उपचार ले लेना चाहिए।

कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग की जिला कार्यक्रम प्रबंधक भावना महलवार ने बताया कि संभावित ग्लूकोमा के मरीजों की सूची समय पर उपलब्ध कराएं जिससे हितग्राही को समय पर लाभ प्राप्त हो सके। वरिष्ठ नेत्र सहायक अधिकारी अर्जुन मेहरा ने सभी नेत्र सहायक अधिकारियों से आग्रह किया कि 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों का प्रेस बायोपिक चश्मा जांच कर एवं प्रेस बायपिक चश्मा देखकर इस अभियान को सफल बनाएं। कार्यक्रम में अंधत्व निवारण के सहायक नोडल अधिकारी राजेश आचार्य, नेत्र सहायक और सीएमएचओ कार्यालय के अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे।

क्या है ग्लूकोमा
आंखो पर पड़ने वाले अतिरिक्त दबाव की वजह से यह बीमारी होती है। यह ऐसी ऐसी बीमारी है जिसमें आंखों के अंदर के पानी का दबाव धीरे-धीरे बढ़ जाता है और आंख की नस सूखने लगती है। इससे देखने में परेशानी होने लगती है या दिखना बंद भी हो सकती है। यह स्थिति बहुत खतरनाक है क्योंकि नस सूखने से होने वाली दृष्टिहीनता का कोई इलाज संभव नहीं है।

ये है ग्लूकोमा के लक्षण
सिर में खासतौर पर शाम को दर्द रहना, दृष्टि का दायरा सिकुड़ना यानी सीधा देखते हुए अगल-बगल की चीजों का दिखाई न देना, पढ़ने के चश्मे का नंबर जल्दी-जल्दी बढ़ना, प्रकाश के इर्द-गिर्द प्रभामंडल दिखना और लाल आंखे ग्लूकोमा के लक्षण हैं।

40 साल के बाद सभी कराएं नेत्र परीक्षण
डॉ.मीना पटेल ने बताया, “आंखो में दवा डालना ग्लूकोमा का सबसे आरंभिक इलाज है। अन्य उपचारों में लेजर उपचार या ऑपरेशन कराना भी शामिल है। ग्लूकोमा का इलाज जीवनभर कराना होता है और नियमित रूप से डॉक्टर के संपर्क में रहना होता है। चालीस वर्ष की उम्र के बाद प्रत्येक व्यक्ति को हर साल नेत्र विशेषज्ञ से अपनी आंखों की जांच विशेष रूप से ग्लूकोमा के लिए कराना चाहिए। नजदीकी प्राथमिकी स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल में भी इसकी जांच कराई जा सकती है।“

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button