रायगढ़

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष- डॉ. रूपेंद्र पटेल और ताराचंद्र पटेल ने डब्ल्यूएचओ की थीम को किया चरितार्थ

8 माह की गर्भवती और दो बार कोविड पॉजिटिव डीपीएम सभी के लिए सीख

आमजन को हर कीमत पर मिले स्वास्थ्य सुविधा : डॉक्टर रूपेंद्र पटेल

सिंहघोष/रायगढ़ 7 अप्रैल 2021, बुधवार को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया गया जिसका मूल मकसद लोगों को स्वस्थ जीवन प्रदान करने के लिए जरूरी परामर्श के साथ जागरूक भी करना है। इस बार की थीम है- बिल्डिंग अ फेयरर, हेल्दियर वर्ल्ड (एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माण)। जिले के डॉक्टर विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस वर्ष की थीम को चरितार्थ करते है वो हैं एमडी मेडिसिन डॉक्टर रूपेंद्र पटेल और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ताराचंद्र पटेल। कोरोनाकाल में जिलेवासियों की इन्होंने खूब सेवा की है। स्वास्थ्य विभाग की जिला कार्यक्रम प्रबंधक भावना महलवार ने भी विषम परिस्थितियों में ईमानदारी से अपना काम किया है।

कोविड काल जैसी विषम परिस्थिति में भी रायगढ़ जिले में सिर्फ एक जगह बेखौफ प्राथमिक उपचार मिल रहा था वह था डॉक्टर रूपेंद्र पटेल का हॉस्पिटल। इस अशर्फी देवी महिला चिकित्सालय अस्पताल को लोग डॉक्टर रूपेंद्र पटेल के नाम से जानते हैं। पीपीई किट पहन कर लोगों को प्राथमिक इलाज देने की प्रथा जिले में डॉक्टर पटेल ने ही शुरू की। जब कोरोना काल ने बड़े-बड़े सुविधा संपन्न सुपरस्पेशलिटी अस्पताल मरीजों के प्राथमिक जांच और इलाज करने को मना कर रहे थे तब भी डॉक्टर पटेल ने अपने दरवाजे खुले ही रखे। शुरुआती दौर में कोविड पॉजिटिव मिलने पर अस्पताल 7 दिन के लिए सील भी हुआ पर डॉक्टर रूपेंद्र के सेवाभाव के इरादे को डिगा नहीं पाया, उन्होंने इलाज करना और ओपीडी जारी रखी।

डॉ रूपेंद्र पटेल बीते 30 सालों से निस्वार्थ रूप से हो अपनी सेवाएं दे रहे हैं। चाहे गरीब हो चाहे अमीर, डॉक्टर पटेल पर लोगों का अथाह विश्वास कायम है। पूरे राज्य में उनका नाम है कि वह बिगड़े से बिगड़े केस को भी संभाल लेते हैं। 59 साल की उम्र में औसतन प्रतिदिन 80 ओपीडी मरीज को देखना और 100 बिस्तर के अस्पताल में भर्ती मरीजों को देखना यह सिर्फ डॉक्टर रूपेंद्र ही कर सकते हैं। खाकी के प्रति उनका सम्मान है कि आज तक वह पुलिस वालों से ओपीडी की फीस नहीं लेते।

आमजन को हर कीमत पर मिले स्वास्थ्य सुविधा : डॉक्टर रूपेंद्र पटेल

रायपुर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमडी मेडिसिन बनने के बाद डॉ. रुपेंद्र पटेल अशर्फी देवी महिला चिकित्सालय में अपनी सेवाएं 1989 से दे रहे हैं। पूरे राज्य में डॉक्टर रुपेंद्र पटेल ही एकमात्र ऐसे डॉक्टर हैं जो तीन दशकों से हर समय हर दिन लोगों के लिए मौजूद रहते हैं। उनके सोने का कोई समय नहीं होता या फिर जब वो सोते रहते हैं तब भी एक आवाज में उठ कर मरीज को देखने आ जाते हैं डॉक्टर पटेल की यही खासियत उन्हें भीड़ से अलग खड़े कर देती है। अपनी प्रैक्टिस के बारे में डॉक्टर रूपेंद्र पटेल बताते हैं “रायगढ़ में जैमूरा गांव के एक किसान परिवार में पैदा होने के बाद मेरे लिए डॉक्टर बनना सौभाग्य की बात थी। मेरे लिए पैसा कभी मायने नहीं रहा, लोगों को स्वास्थ्य सुविधा हर कीमत पर मिलनी चाहिए आम जनता को सही इलाज सही समय पर मुहैया कराना ही मेरा उद्देश्य रहा है। गंभीर व्यक्ति के लिए हर एक क्षण महत्वपूर्ण होता है ऐसे में उसे तुरंत देखना मेरी जिम्मेदारी है जिसे 30 साल से पूरी करता आ रहा हूँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि साहस और शक्ति बनाये रखे ताकि अधिक से अधिक लोगों का उपचार कर सकूं।*

बच्चों और पालकों से सीधे जुड़ते हैं डॉ ताराचंद्र

कान्हा अस्पताल के डॉक्टर ताराचंद्र पटेल भी हर समय अपने मरीजों के लिए उपलब्ध रहते हैं, वो जिस तरीके से बच्चों की बीमारी और पालकों की समझाते हैं शायद की कोई दूसरा डॉक्टर ऐसा करे। कोविडकाल में इनका अस्पताल कभी बंद नहीं रहा, ओपीडी और आईपीडी हमेशा चालू रही। गांव-गांव से मरीज इनके पास आते हैं जिनमे ज्यादातर गरीब तबके के होते हैं। डॉक्टर ताराचंद्र की दवाई अपेक्षाकृत कम दाम की रहती है जो इन्हें दूसरे पीडियाट्रिक डॉक्टर्स से अलग पहचान दिलाते हैं। सरायपाली के डॉ ताराचंद्र पटेल ने बिलासपुर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और रायपुर मेडिकल कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद रायपुर में सेवा दी फिर 2011 में जिला अस्पताल रायगढ़ से जुड़े। वहाँ 5 साल काम करने के बाद डॉक्टर पटेल ने कम वज़नी बच्चों को बचाने पर अपना सारा जोर दिया। जिसका परिणाम यह है कि बीते 8 सालों में रायगढ़ में जन्म से कम वजन के बच्चों को अब बचाया जा रहा। पहले जहां सब रायपुर की दौड़ लगाते थे अब 10 में से सिर्फ 2 लोग ही जा रहे।
डॉ. ताराचंद्र कहते हैं कि बच्चों को भर्ती करके ठीक करने तक उनकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती, बल्कि बच्चों को हेल्थी और मेंटली स्ट्रांग बनाना मेरा लक्ष्य है जिसके लिए मेरा पूरा स्टाफ काम करता है।

जिम्मेदारियों की भावना को समझती महलवार

स्वास्थ्य विभाग की जिला कार्यक्रम प्रबंधक भावना महलवार हाल ही में दूसरी बार कोरोना पॉजिटिव आईं थी, 4 मार्च को नेगेटिव आने के बाद उन्होंने ऑफिस जॉइन कर लिया, हालांकि वह होम आइसोलेशन में भी काम कर ही रहीं थी। भावना 8 माह की गर्भवती है और यह उनका पहला बच्चा है, परिवार से दूर वह यहां रायगढ़ में रहती हैं और जिला स्तर के प्रबंधन की सारी जिम्मेदारी संभाल रही हैं और आने वाले 1 महीने भी काम करने की बात कहती हैं। जिस समय आम महिलाएं घर पर आराम करती हैं उस समय भावना ऑफिस वो भी स्वास्थ्य विभाग जहां कोरोना का खतरा बना रहता है। कोरोना दो बार उनको हो चुका, पूरे जिले में कोविड टीकाकरण का काम भी उन्हीं के मार्गदर्शन में हो रहा है पर गर्भवती होने के कारण उनको कोरोना का टीका नहीं लगा।

भावना बताती है ” बीते 14 महीने से स्वास्थ्य विभाग कोरोना संक्रमण को रोकने में लगा है। मार्च महीने की शुरुआत में संक्रमण न्यूनतम था पर दूसरी लहर ने एक बार फिर स्थिति गंभीर कर दी है। लोग कोरोना को हल्के में न लें, सावधान रहें। थोड़ी सी भी शंका हो तो कोविड जांच करा लें। पॉजिटिव आने पर हॉस्पिटल जाना होगा, आइसोलेशन में रहना होगा, दवा खाना होगा जैसी चीजों से न डरें, तुरंत जांच कराएं। नया स्ट्रेन का पैटर्न बदला हुआ है बहुत सारे लोगों को तो अब लक्षण भी नहीं आ रहे, 40 फीसदी फेफड़े को नुकसान पहुचांने के बाद लोगों का कोरोना डाइग्नोस हो रहा है। आप की सुरक्षा आप के हांथ है। सतर्क रहें।”

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