रायगढ़ के प्रवेश द्वार रेलवे स्टेशन पर शान से लहराते तिरंगे का अपमान पर नाराज हुवे पत्रकार…। कितने दिनों से फटा है पता ही नहीं..? सवाल पूछने के बाद आधी रात को ससम्मान तिरंगा उतारा गया..।। RIG24 व सिंहघोष की टीम डटी रही देर रात तक…।।।जानिए पूरा मामला.. देखें तस्वीरें, पढ़ें पूरी खबर


सिंहघोष/रायगढ़-रायगढ़ जिले में जब आप रेलवे स्टेशन के रास्ते प्रवेश करते है तो आपको कई मीटर ऊंचा राष्ट्र ध्वज शान से लहराता मिलेगा। हर भारतीय की आन बान शान इस तिरंगे को लहराता देख, आपमें-हममें एक ऊर्जा का संचार होता है। इसके लिए हम दक्षिण पूर्व रेलवे जोन को आभार व्यक्त करते है। लेकिन जब इस ध्वज की अनदेखी और उसकी शान में गुस्ताखी हो तो नाराज होना भी लाज़मी है! और आज जो कुछ हुआ उसके बाद इनकी मंशा को लेकर भी एक प्रश्न जेहन में आता है..

क्या सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए हमारे राष्ट्रध्वज का इस्तेमाल किया गया है..?

हम ऐसा क्यो कह रहे है और हमारी नाराजगी भी क्यों जायज है ? इसका कारण यह है कि
“ध्वज अपने दोनों कोनो से क्षतिग्रस्त हो चुका है। तिरंगे की केसरी और हरी पट्टी अपने दोनों कोनो से फटी हुई है। ऐसा पता नहीं कितने दिनों से है? जिम्मेदारों को इस बात का एहसास भी नहीं..??

आज रात करीब 9:30 बजे हमारे RIG24 के साथी संजय शर्मा,नरेंद्र चौबे,नवरतन शर्मा व अंचल चौहान रेलवे स्टेशन गए थे। वहां उन्होंने राष्ट्रध्वज की ऐसी हालत देखी जिसके बाद उन्होंने स्टेशन मास्टर से संपर्क किया और उनसे इस बाबत पूछा। शुरुआत में स्टेशन मास्टर अपना पल्ला झाड़ते हुए सारा ठीकरा आरपीएफ पर फोड़ दिया। इस बारे में जब आरपीएफ अब से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है, ध्वज उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। इस जवाब के बाद दुबारा स्टेशन मास्टर से पूछा गया.. अंततः उन्होंने झंडे को ससम्मान उतरवाने की बात कही!उन्होंने यह भी बताया कि उनके पास विकल्प के रूप में दूसरा ध्वज नहीं है..! दूसरा ध्वज कब लगेगा..? इस बारे में भी वह कुछ नहीं कर सकते..? वे इस राष्ट्र ध्वज के प्रति कितने जिम्मेदार और गंभीर हैं..? यह उनके लिए क्या अहमियत रखता है..? इस बात का अंदाजा आप स्वयं लगा सकते हैं!
आज सबकुछ देख कर और महसूस कर उनकी मंशा, उनकी जवाबदारी पर.. सवाल तो बनता है..? आख़िर जो सर्वोच्च प्राथमिकता है, जिससे जन जन की भावना जुड़ी हो, जिसके लिए संविधान में सख़्त नियम है! उसे सिर्फ एक शो पीस की तरह ट्रीट करना..? इतनी बड़ी लापरवाही..??
उतारते वक्त झंडे में देखा जा सकता है कि कितनी धूल जमी है..? वहीं यह भी पता चला कि अब इस विशालकाय स्तंभ पर लगाने के लिए दूसरा झंडा भी उपलब्ध नहीं है! मतलब उन्हें लगा था कि इस प्रदूषित शहर में वह हमेशा साफ रहेगा..? सब कुछ देखकर यही कहा जा सकता है.. यहाँ सिर्फ दिखावा है, जिम्मेदारी नहीं! सब कुछ वाह वाही लूटने तक, मीडिया में खबर बनने तक के लिए ही होता है, बाद में उसकी व्यवस्था, उसकी देखभाल कौन किसके जिम्मे में है..? यह आज भी यक्ष प्रश्न है.. जिसका कोई जवाब नहीं इनके पास..!
झंडे को ससम्मान उतार कर विधिवत स्टेशन मास्टर के कमरे में रखा गया है.। जोकि हमारे पत्रकार साथी संजय शर्मा,नरेंद्र चौबे,नवरतन शर्मा व अंचल चौहान के सहयोग से पूर्ण हुवा।