संपादकीय

हिटलरशाही,फासिज्म,नाजीवाद क्या है? –सिंहघोष के प्रबंध सम्पादक स्व.शशिकांत शर्मा “स्वतंत्र पत्रकार” जी की कलम से…।।


🔦बिना टिप्पणी’🔦
मात्र 15,20 वर्ष पूर्व तक किसी को फासिस्ट कहना किसी अश्लील गाली की तरह समझा जाता था.
किंतु अब तो इस शब्द का अर्थ जानने वाले गिने-चुने लोग ही रह गये हैं.
यही हाल नाजी,फासिज्म,
नाजीवादी शब्दों का है.
इनकी शास्त्रीय मीमांसा,
क्लिष्ट विश्लेषण की बजाय सीधीे-सपाट भाषा में वर्णन करें.
प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1918 में इटली,जर्मनी सहित शत्रु राष्ट्रों की बुरी तरह से हार हुई.
रूस,अमेरिका,इंग्लैंड,
फ्रांस तथा मित्र देश
विजयी हुये.हारे देशों से
समझौते,सन्धियां हुई.
जर्मनी,इटली को ये सन्धियां अपने देशों के विरुद्ध एवं बेहद अपमानजनक लग रही थी.
पर पराजित देश कर भी क्या सकते थे अपमान के दंश को झेलने के सिवाय.
इसके बाद इटली में बेनिटो मुसोलिनी नामक शख्स ने उग्र राष्ट्रवाद,राष्ट्रीय सम्मान के नारे जनता के बीच उछालने आरम्भ कर दिये.
यहीं से जन्म हुआ “फासिज्म” शब्द का फासीवादियों और मुसोलिनी समर्थकों को “फासिस्ट”कहा जाने लगा.
इस विचारधारा के अनुयायी उदारवादियों,
कम्युनिस्टों के घोर दुश्मन थे.
काली कमीजधारी ये फासिस्ट लोकतंत्र, संसदीय व्यवस्था,स्वतंत्र न्याय प्रणाली,आजाद प्रेस की अवधारणा के कट्टर विरोधी थे.
इन सबके दमन,शमन के प्रखर समर्थक फासिस्टों ने इंकलाब,पुनुरोत्थान के लोक-लुभावन नारों से किसानों,मजदूरों,युवकों तथा आम जनता के बीच अपनी जड़ें गहराई तक जमा ली.
राष्ट्रीय स्वाभिमान,देश के सम्मान के काले सम्मोहन में पूरा इटली जकड़ गया.
तानाशाह मुसोलिनी की सनक,दूराग्रहों का पूरा राष्ट्र दीवाना हो गया.
एक दिन मुसोलिनी भक्तों ने राजधानी रोम की घेराबंदी कर दी.
वहाँ के सम्राट ने मज़बूरन मुसोलिनी को मंत्री मंडल बनाने हेतु आमन्त्रित कर दिया.
मुसोलिनी ने सत्तारूढ़ होते ही संविधान की चिन्दियाँ बिखेर दी.
ये “नाजीवाद” क्या है?
प्रथम विश्व युद्ध में तबाह हो चुके जर्मनी में गहन निराशा व्याप्त थी.उनका राष्ट्रीय स्वाभिमान भारी आहत था. “वर्साय संधि”
आम जर्मनी के मन-मस्तक को उबलते तेल की तरह दग्ध कर रही थी.
ऐसे विषम काल में “म्यूनिख” शहर में एक मामूली से पेंटर
“एडोल्फ हिटलर” नामक युवक ने पार्षद चुनाव के माध्यम से राजनीति में पदार्पण किया.
हिटलर कट्टर जर्मन राष्ट्रवाद का पैरोकार बनकर चिंघाड़ता था.इसने नाजी पार्टी की स्थापना की.
हिटलर की रीतियां- नीतियाँ-सोच ही नाजीवाद कहलाता है.
वह विदेशी सामानों ही नही विदेशियों का भी घोर विरोधी था.हिटलर अपने जहरीले भाषणों में कहता था हम जर्मन,आर्य हैं हम दुनिया की सर्वश्रेष्ठ नस्ल,रक्त के हैं हमें यह अधिकार है की हम विश्व पर राज करें.
हिटलर की नीति समाज में भेद भाव,नफरत,जातिय विभेद की खाई खोदने वाली थी.
नाजीवादी आपादमस्तक नस्लवादी,साम्राज्यवादी और धार्मिक,ऐतिहासिक विघटन के पक्षधर थे.
राष्ट्रवादी,देशप्रेमी की ठेकेदारी इन्होंने बलात् हथिया ली.
हिंसा,रक्तपात के प्रबल समर्थक नाजियों को यहूदियों से बला दर्जे की घृणा थी.वे यह मानते थे की जर्मनी में पसरी हर बुराई के लिये यहूदी ही जिम्मेदार हैं.
हिटलर और उसके पिछलग्गुओं के अनुसार यहूदी इंसानी नस्ल के हैं ही नही.यहूदी लोग जर्मनों के हर मामले में विरोधी हैं.
नाजियों ने यहूदियों के जड़-मूल से विनाश की ठान ली.
जर्मनी के 60 लाख यहूदियों का कत्ल-ऐ-आम कर दिया गया याने की देश के 33% यहूदियों का संहार कर दिया गया.
इन्हें मौत देने के लिये बेशुमार संख्या में यातना शिविर बनाये गए थे.
कल समापन किश्त….

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