गोगा नवमीं का भव्य मेला मंगलवार को धूमधाम से मनाया जायेगा…।बापोड़िया परिवार पिछले सात दशकों से कर रहा नियमित सेवा…।।

सिंहघोष/रायगढ़-26.08.24- तक़रीबन सात दशकों से भी ज़्यादा का इतिहास जूटमील रोड स्थित जाहरवीर गोगा बाबा की मेड़ी के रुप में आज भी मौजूद है। जाहरवीर गोगा बाबा के बारे में ऐसा बताया जाता है कि राजस्थान के चुरू जिले के ददरेवा में चौहान वंश के शासक जैबर सिंह की पत्नि बाछल के गर्भ से हुआ था। पिता जैबर सिंह जाहरवीर गोगा बाबा को गुरु गोरखनाथ का आशीर्वाद मानते थे। जाहरवीर गोगा बाबा को गुरू गोरखनाथ का शिष्यत्व प्राप्त हुआ था और अपने गुरू के आदेश से ही जाहरवीर गोगा बाबा ने समाधि ले ली थी। उस समय गुरू गोरखनाथ ने कहा था कि सबसे पहले पूजा मेरे शिष्य जाहरवीर गोगा की होगी उसके बाद मेरी।
पूर्व सभापति सुरेश गोयल से मिली जानकारी के मुताबिक़ जाहरवीर गोगा बाबा की मेढ़ी राजस्थान में है और तक़रीबन पचहत्तर साल पहले रायगढ़ के शिवकरण दास बापोड़िया की राईस मिल में बहुत सांप निकलते थे इसलिए उन्होंने जाहरवीर गोगा बाबा के जन्मस्थान चुरू से ईंट लाकर मेढ़ी बनवाई थी जिसके बाद सांपों का आना जाना पूरी तरह बंद हो गया तब से लेकर अब तक गोगा मेढ़ी की पूरी व्यवस्था बापोड़िया परिवार ही संभालता है और हर साल जनमाष्टमी के अगले दिन कृष्ण पक्ष की नवमी को गोगा मेढ़ी में मेला लगता है।
गोगा मेढ़ी में राजस्थान और हरियाणा के सभी परिवार आकर श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा करते हैं, रोट चढ़ाते हैं, रक्षाबंधन के दिन पहनी हुई राखी उतार कर चढ़ाते हैं और अनाज के तौर पर थोड़ा गेहूं अर्पित कर बाबा को चादर चढ़ाई जाती है। ग़ौरतलब है कि रायगढ़ की गोगामेड़ी में जिस तरीक़े से चादर चढ़ाने के बाद मोरपंख से दुवाएं दी जाती हैं,उसे देखकर किसी मुस्लिम धर्मगुरू की मज़ार जैसा आभास होता है, वैसे जाहरवीर गोगा बाबा की मान्यता राजस्थान के आसपास मुस्लिमों में भी बहुत ज़्यादा है।
पूर्व सभापति सुरेश गोयल बापोड़िया ने जानकारी देते हुए बताया कि हमेशा की तरह इस साल भी परंपरागत तौर पर रायगढ़ की गोगा नवमीं का भव्य मेला दिनांक 27/08 /24 मंगलवार को धूमधाम से मनाया जायेगा इसके लिए बापोड़िया परिवार द्वारा सभी तैयारियां पूरी पर ली गई हैं। गोगा नवमी के दिन मेढ़ी में बच्चों के मुंडन संस्कार भी होंगे, दोपहर में छड़ी यात्रा निकाली जायेगी और शाम 7:00 बजे महानदी तुलसी प्रहरी तुलसी मानस मंच चंद्रपुर के विद्वान आचार्यों द्वारा महानदी आरती की तर्ज़ पर भव्यता के साथ सामूहिक आरती भी की जायेगी।