बिलासपुर डीसी को अधूरे हलफनामे पर कोर्ट का कड़ा रुख, 21 जुलाई को व्यक्तिगत उपस्थिति के आदेश

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने बिलासपुर जिले के उपायुक्त (डीसी) द्वारा अदालत में पेश किए गए अधूरे हलफनामे पर गहरी नाराज़गी जताई है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधवालिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने इसे गंभीरता से लेते हुए डीसी को 21 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।
जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने स्पष्ट किया कि 10 अप्रैल को दिए गए विस्तृत आदेश का समुचित पालन नहीं किया गया। अदालत ने कहा कि डीसी का हलफनामा अधूरा और अस्पष्ट है, जिसमें न तो अतिक्रमण से जुड़े व्यक्तियों की जानकारी दी गई है, न ही अतिक्रमण की प्रकृति और समय के बारे में कोई स्पष्ट विवरण मौजूद है। हाईकोर्ट का मानना है कि डीसी ने अदालत के आदेश का गंभीरतापूर्वक अध्ययन नहीं किया और न ही उसके निहितार्थों को समझा।
खंडपीठ ने टिप्पणी की कि नेशनल हाईवे कीरतपुर-मंडी खंड पर हो रहे अनाधिकृत निर्माण सुरक्षा के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। इस पर पहले भी एनएचएआई ने 2023 में पत्र के माध्यम से अवगत कराया था कि बढ़ते अतिक्रमण से सड़क दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ रही है और सड़क के निर्माण का मूल उद्देश्य प्रभावित हो रहा है।
डीसी बिलासपुर द्वारा पहले दी गई रिपोर्ट में सिर्फ निर्माणों की संख्या और सामान्य कार्रवाई का भरोसा जताया गया था, लेकिन कोर्ट ने पाया कि इसमें कोई ठोस विवरण या कार्यवाही की पारदर्शी जानकारी नहीं है। अब न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि डीसी को स्वयं उपस्थित होकर अदालत की कार्यवाही का सम्मान करना होगा और एक विस्तृत व समुचित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना होगा।