गणतंत्र दिवस सम्मान समारोह पर ??चिन्ह…। ऐसी भी क्या जल्दी है,सम्मान का मान तो रखिए…।।

सिंहघोष/रायगढ़.26.01.22.उच्च शिक्षा मंत्री छग शासन उमेश पटेल की उपस्थिति में आज सुबह शहर के शहीद कर्नल विपल्व त्रिपाठी स्टेडियम में 74 वां गणतंत्र दिवस समारोह संपन्न हुआ।समारोह में ध्वजारोहण और उद्बोधन के बाद सलामी परेड,झांकी और स्कूली बच्चों की तरफ से रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा समारोह के अंत में समाज कल्याण,खेल,सांस्कृतिक और प्रशासनिक सेवा में बेहतरीन कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित भी किया गया। सम्मान पाने वाले ज्यादातर अधिकारी और कर्मचारियों ने वाकई में अपने_अपने क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य किया है।
इस क्रम में नायब तहसीलदार प्रकाश पटेल को बाढ़ नियंत्रण में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया एक तरफ जब श्री पटेल सम्मान पा रहे थे तो दूसरी तरफ उनके पीछे उनके ही विभाग के कुछ लोग (जो इस समारोह में उपस्थित थे) उनमें इस विषय पर चर्चा चल रही थी, कि आखिर नायब तहसीलदार प्रकाश पटेल को किस कार्य के लिए सम्मानित किया जा रहा है ? चर्चा के दौरान उनके विषय में कुछ चौकाने वाली जानकारियां सामने आई है,कि जिस कार्य के लिए प्रकाश पटेल को सम्मानित किया जा रहा है वास्तव में क्या वो इस सम्मान के हकदार है? जानकारी के अनुसार बाढ़ आपदा के समय श्री पटेल रायपुर मे ट्रेनिंग में थे
बाढ़ नियंत्रण कार्य में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। फिर भी प्रशासन के द्वारा उनको इस कार्य के लिए प्रशस्त्ति पत्र प्रदान किया?
वही चर्चा के दौरान यह भी कहा गया कि बाढ़ आपदा के दौरान मतलब जुलाई महीने में नायब तहसीलदार प्रकाश पटेल का स्थानांतरण पुसौर तहसील से रायगढ़ जिला मुख्यालय हो चुका था। ऐसे में उन्हे दिया गया सम्मान और प्रशस्ति पत्र दोनो कई सवाल खड़े कर रहा है। ऊपर से जिला कलेक्टर रानू साहू की लंबी अनुपस्थिति में जब गणतंत्र दिवस समारोह का संचालन जिले के प्रभारी कलेक्टर एवं सीईओ जिला पंचायत अबिनाश मिश्रा कर रहे थे, ऐसे में सम्मान समारोह के दौरान दिए जाने वाले प्रशस्ति पत्र (जिसके विषय,में बताया जा रहा है कि पत्र में कलेक्टर के हस्ताक्षर कथित तौर पर फर्जी हैं) को लेकर भी सवाल खड़े हुए है। जिसका जवाब जिला प्रशासन की तरफ से दिया जाना अपेक्षित है। क्योंकि राष्ट्रीय पर्व में दिए जाने वाला सम्मान पत्र के मान से जुड़ा हुआ है. अब लोग कह रहे है कि ऐसी भी क्या जल्दी है कि किसी अयोग्य अधिकारी और उसके कार्य को जाने बिना उसका सम्मान किया गया? इसके अलावा जिले की कलेक्टर के कथित संदिग्ध हस्ताक्षर वाले प्रशस्ति पत्रों को क्यों और किसके कहने पर बांटा गया?? कम से कम सम्मान का मान तो रखा जाना चाहिए था।